पिछले चुनावी आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो 17वीं विधानसभा चुनाव की तस्वीर इस बार बहुत बदली बदली नजर आ रही है.पूर्व चुनावों की अपेक्षा भाजपा द्वारा इस साल 328 सीटों पर चुनाव जीतना मुश्किल रहेगा.एक तरफ नोट बंदी का दौर दूसरी तरफ सपा और बसपा की रणनीति पार करना कठिन होगा.

साल 2014 के चुनावी आकड़ों पर एक नजर

  • साल 2014 के लोकसभा चुनावी परिणामों पर अगर नजर डाली जाए तो.
  • भाजपा को छोड़ गैर भाजपा दलों के लिए परिणाम कुछ ख़ास नहीं थे.
  • कुल 403 सीटों में से 73 लोकसभा सीटों पर भाजपा और अपना दल ने बाज़ी मारी.
  • समाजवादी पार्टी को पांच और कांग्रेस को दो सीटों पर सफलता मिली थी.
  • वहीँ विधानसभा सीटों के आधार पर 81 प्रतिशत सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी.
  • समाजवादी पार्टी को 42,कांग्रेस को 15,बसपा और अपना दल को नौ नौ विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली.

साल 2017 चुनाव में भाजपा को सपा और बसपा से मिलेगी कड़ी टक्कर

  • साल 2012 और 2007 चुनाव परिणामों में भाजपा का कहीं वर्चस्व नहीं था.
  • 2012 चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी.
  • भाजपा को 47,बसपा को 80 तथा कांग्रेस को 28 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
  • साल 2007 चुनावों में बसपा ने जीत का परचम लहराया था.
  • कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 15 सीटों पर बढ़त बनाई थी.
  • कानपुर कैंट,प्रतापगढ़,,रामपुर ख़ास एवं अन्यय जिले इसमें शामिल थे.
  • लोकसभा चुनावों में मैनपुरी से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने तीन लाख से ज्यादा अंतर से भाजपा को हराया था.
  • आजमगढ़ की पाँचों विधानसभा सीट पर मुलायम सिंह आगे रहे थे.
  • कन्नौज की सीट पर डिम्पल यादव जीतीं.आजम खां के प्रभावित क्षेत्र बीसलपुर और मीलक से सपा पीछे रही.

बसपा को एक भी लोकसभा सीट हासिल नहीं हुई

  • बसपा को एक भी लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं हुई.
  • नौ विधानसभा सीटों पर बासपा आगे रही थी..
  • इनमें सीतापुर लोकसभा के लहरपुर,गोपामऊ,बालामाऊ,सिधौली एवं अन्य जिले शामिल थे..
  • सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट से भी बसपा ने बढ़त बनाई थी
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