उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालयों पर सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन विद्यालयो की शिक्षा व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। आज हम बात कर रहे बाराबंकी के प्राथमिक विद्यालय अवशेरगढ की जहाँ के प्रधानाचार्य किराये के 2 टीचर से बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवा रहे है। वे खुद गायब हो जाते और उनकी जगह प्राइवेट अध्यपिका पढ़ा रहीं हैं। बच्चों से बात करने से पता चला कि बच्चे भी दो ही टीचर का नाम जानते है जो प्राइवेट अध्यपिका है। दोनों प्राइवेट अध्यपिका से बात करने पर पता चला कि वे करीब दो महीने से पढ़ा रहे हैं और इसका उन्हें दो हजार रूपये महीने मिलता है।

प्राइवेट अध्यापक करा रहे पढ़ाई, सरकारी काट रहे मलाई :

बाराबंकी जिले के प्राथमिक विद्यालय की हालत इतनी दयनीय है कि सरकारी अध्यापक अपने  घर पर बैठकर सैलरी का मजा ले रहे हैं। वहीं स्कूल में दो दो हजार रुपये में उन्होंने अपनी जगह पर अध्यापक नियुक्त कर दिया है।

दो दो हजार रुपये में रखें अध्यापक :

अब बात ये आती है कि जब बच्चों को प्राइवेट आध्यपिकाओ से ही शिक्षा मिलती है तो इतनी भारी भरकम सैलरी देकर पढ़ाने से क्या मतलब। हर विद्यालय मे दो -दो हजार रूपये पर अध्यापक रख दिये जाये तो सरकार को इतनी बड़ी रकम देने की जरूरत नही पड़ेगी।

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क्या बोले बोले जिम्मेदार :

जब इस मामले में एबीएसए अजय मौर्या से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमें ऐसी कोई शिकायत या सूचना नहीं मिलीं है। उन्होंने यह भी बताया कि मैने जब वहां का निरीक्षण किया तो वहां पर कोई भी प्राइवेट अध्यापक नहीं था। अगर आगे से ऐसा कुछ होगा तो कार्रवाई की जायेगी। ऐसा बोलकर उन्होंने भी इस समस्या से अपना पल्ला झाड़ लिया है।

रिपोर्ट: दिलीप तिवारी

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