विद्युत कार्यालय सहायक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील प्रकाश पाल ने कहा है कि सर्वाधिक राजस्व एवं न्यूनतम हानियों वाले 5 महानगरों (लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद) का व्यवसायीकरण करने से पूर्व सरकार द्वारा निष्पक्ष सर्वे के माध्यम से इन 5 शहरों की जनता ने राय ली जानी चाहिए थी तथा पूर्व में निजी हाथों में सौंप पर जा चुके शहरों यथा आगरा के उपभोक्ताओं से प्रतिपुष्टि कराने के उपरांत ही उपभोक्ता हित में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए था।

गुपचुप तरीके से निजीकरण सरकार की मंशा पर शक

उन्होंने कहा कि जिस तरह जल्दबाजी और गुपचुप तरीके से निजीकरण पर फैसला लिया गया। उसे सरकार की मंशा पर शक है। विद्युत सेवा पर सरकार अपनी नीति से हटती हुई नजर आ रही है। उन्होंने कहा पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए फायदे का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने जनता को निजीकरण से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आज के वर्तमान परिवेश में बिजली लोगों के लिए दिनचर्या की आवश्यक वस्तु हो चुकी है। जिसे सस्ते दरों पर उपलब्ध कराना चाहिए, आगरा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। जहां पर सरकार द्वारा सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाती है।

कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया होता बकाया चुकाने का प्रस्ताव

उन्होंने कहा परंतु निजी कंपनी उपभोक्ता को मंहगे दरों पर बेची जाती है और उसके बावजूद भी निजी कंपनी 600 करोड़ से अधिक का घाटा दिखा रही है। कानपुर विद्युत आपूर्ति कारपोरेशन के हाथ में है और फायदे में है। मात्र राजधानी सरकारी भवनों पर 280 करोड़ से अधिक रकम बकाया है। यदि निजीकरण के स्थान पर मंत्रिमंडल ने पूरे उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों को रकम चुकाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया होता तो विभाग घाटे से उतर जाता और जनता में भी सकारात्मक संदेश जाता।

उद्योगपतियों ने अपने फायदे के लिए किया सरकार को भ्रमित

प्रदेश के संगठन मंत्री आशीष त्रिपाठी ने कहा प्रबंधन अपनी क्षमता छिपाने और निजी कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने के लिए इन शहरों की विद्युत आपूर्ति का काम निजी कंपनी को दे रही है। इससे उद्योगपतियों ने अपने फायदे के लिए सरकार को भ्रमित किया है। परंतु हम उन्हें सही मार्ग पर लाएंगे और किसी भी कीमत पर निजीकरण बर्दाश्त नहीं होने देंगे।

जनता पर पड़ेगा सीधा असर

➡संगठन के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन देना हो या शत-प्रतिशत राजस्व वसूली हो कर्मचारियों द्वारा पूरी निष्ठा कार्य के साथ करके ऊर्जा क्षेत्र को आगे ले जाने में कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
➡अब ऐसे में सरकार द्वारा बिजली विभाग का निजीकरण करने का एकमात्र कारण सरकार के चहेते पूंजीपतियों को अप्रत्यक्ष तरीके से लाभ पहुंचाने का है।
➡बिजली के निजीकरण का असर जहां बिजली विभाग के कर्मचारियों पर सीधा पड़ेगा वहीं प्रदेश की आम जनता पर इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ने वाला है।

उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ेगा घाटा

➡उपभोक्ताओं को बिजली विभाग द्वारा जहां बिजली कम से कम 4 रूपये प्रति यूनिट पढ़ती थी वही यह निजी कंपनियों द्वारा कम से कम 7 से 10 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी।
➡जो उपभोक्ता 2 से 3 माह के बाद बिजली का बिल जमा कर पाते थे, निजी कंपनी एक महीना होने पर बिल ना जमा होने पर अगले माह कनेक्शन काट देगी।
➡बिजली विभाग हर साल जो ओटीएस (OTS) देकर उपभोक्ताओं को छूट देता था, निजी कंपनी कोई छूट नहीं देगी।
➡निजीकरण पर हर हालत में उपभोक्ता को ही घाटा उठाना पड़ेगा।

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