सचिवालय में लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग में प्रोमोशन से जुड़ी महत्वपूर्ण व गोपनीय फाइलें गायब हो गईं हैं। जिसके बाद अनुभाग अधिकारी ने तत्कालीन तीन अधिकारियों पर फाइल गायब करने व लापरवाही करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। बता दें कि यह मामला ढ़ाई दशक पुराना है, लेकिन विभागीय अधिकार इस मामले को दबाए रखा। जब विभाग के कुछ कर्मचारियों ने इस मुद्दे को उठाया तो मामला तूल पकड़ लिया और कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया।

कोर्ट में चल रहा है मुकदमा

बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर कोर्ट में विवाद भी चल रहा है। कोर्ट ने मामले में केस दर्ज कराने और विभाग के अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली। कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी तो हड़कंप मच गया। जिसके बाद विभागीय पड़ताल में खुलासा हुआ कि फाइलों की देखरेख की जिम्मेदारी तत्कालीन समीक्षा अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा, रमेश कुमार विश्वकर्मा और दीप नारायन दीक्षित की थी। कोर्ट की कार्रवाई से बचने के लिए अधिकारियों ने आनन-फानन केस दर्ज कराने के निर्देश दिए, जिसके बाद हजरतगंज कोतवाली में तहरीर दी गई।

ढ़ाई दशक पुराना है मामला

पुलिस सूत्रों के अनुसार, सचिवालय से फाइलें गायब होने का मामला नया नहीं है बल्कि लगभग ढाई दशक पुराना है। इस मामले में अधिकारी इसे दबाए बैठे थे। विभाग के ही कुछ लोगों की शिकायत पर मामले ने तूल पकड़ा। इस मामले को लेकर कोर्ट में वाद भी चल रहा है। कोर्ट ने मामले में केस दर्ज कराने और विभाग के अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली।

मामले की जांच में जुटी है पुलिस

इंस्पेक्टर आनंद कुमार शाही ने बताया कि इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। फाइलें कितनी थी, कब और कैसे गायब हुईं? इससे किसे लाभ अथवा हानि हो रही थी? इसकी जांच के लिए जल्द ही विवेचनाधिकारी को सचिवालय भेजा जाएगा। जिन अधिकारियों पर केस दर्ज है संभवतः वह रिटायर हो चुके हैं। उनसे भी पुलिस संपर्क करने की कोशिश कर रही है।

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