एक तरफ PWD डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार रोकने और उसे सुचारू रूप से चलाने के दावे केशव प्रसाद मौर्य करते दिखाई दे रहे हैं, तो वहीँ दूसरी तरफ PWD में बड़ी संख्या उनकी भी है जिनके पास कोई कार्य नहीं है लेकिन उनकी सैलरी टाइम से उनके खाते में जा रही है.

PWD विभाग में करीब 25 सौ कर्मचारियों के पास नहीं है कोई काम:

ख़बरों के मुताबिक, यांत्रिक सेवा के जेई, चालक और क्लीनर को बिना कार्य के सालों से वेतन दिया जा रहा है. जेई व अन्य कर्मचारियों बिना कार्य के ही सालाना  70 से 80 करोड़ रुपए वेतन दिया जा रहा है. इससे पहले कई बार जेई इसको लेकर विरोध जता चुके हैं. ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए विभाग के करोड़ों रुपए के उपकरण धूल खा रहे हैं. सालों से रखे उपकरणों का कोई इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. पूरे प्रदेश में 15 फ़ीसदी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

90% उपकरण कार्यशालाओं में खड़े-खड़े खा रहे धूल

PWD विभाग के अफसर और ठेकेदारों की मिलीभगत से ये साला खेल चल रहा है. ठेकेदारों को ही उपकरण लाने और कार्य कराने की छूट दी गई है. इसकी वजह से ठेकेदार सड़कों के निर्माण में खेल कर रहे हैं. कम वजन के रोड रोलर का इस्तेमाल कर सड़कों की गुणवत्ता के साथ मनमानी की जा रही है. योगी सरकार की नाक के नीचे अरबों रुपए की संपत्ति कार्यशाला में ही जंग खा रही है. विभाग में सालों से चल रहे इस खेल को लेकर केशव प्रसाद मौर्य कुछ कहते दिखाई नहीं दे रहे हैं.

क्या केशव मौर्य को नहीं पता ?

सूत्रों की मानें तो कई सालों से चल रहे इस खेल के कारण महंगे उपकरण ख़राब हो रहे हैं. सरकार की नाक के नीचे हो रहे इस खेल की चर्चाएँ शहर भर में हैं लेकिन डिप्टी सीएम तक इसकी खबर नहीं हो, कुछ अजीब जरुर लगता है. हालाँकि सीधे तौर पर कई अधिकारी इस बात को स्वीकारने की स्थिति में दिखाई नही देते हैं.

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