दर्शकों से खचाखच भरी महफिल किसी के आने का इंतजार लिए टकटकी निगाहों से मंच की तरफ देख रहीं हैं। इस खूबसुरत सी शाम में चार-चार कवि की मौजूदगी इस शाम को और भी खूबसुरत बनाएंगी। महफिल तो सज ही गई है जवां तो आपके शायरों से होगी। कुछ नए कुछ पुराने अल्फाज़ गुनगुनाए जाएंगे, कभी आग तो कभी शोला, तो कभी जज़्बात भड़काए जाएंगे। इतना ही नहीं इस दौरान मुहब्बत की नज़्म भी सुनाए जाएंगे। जज्बा के इस मुशायरे में राहत इंदौरी, कुमार विश्वास, डा. शबीना अदिब एवं तारिक कमर की मौजूदगी रहेगी। राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित नाट्य एकेडमी में इस मुशायरे का आयोजन किया जा रहा है।

शायरी का दौर शुरू हो गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। जैसे ही कुमार विश्वास मंच पर पहुंचे कवि प्रेमियों ने जोरदार तालियों के गड़गडाहट के साथ स्वागत किया। सीटी और लोगों के शोरगुल से पूरा आडिटोरियम हिल गया। इस दौरान कुमार विश्वास को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। राहत इन्दौरी ने जब ‘शहरों में तो बारूदों का मौसम है गांव चलो ये अमरूदों का मौसम है’ सुनाया तो पूरा आडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया। ‘हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं। जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी और जो आॅंखों में दिखाई दे उसे तुफान कहते हैं। मेरे अन्दर से एक एक करके सबकुछ खो गया रूखसत मगर एक चीज बाकी है जिसे ईमान कहते हैं।”

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