कन्नौज का चिप्सोना आलू जिस तरह उड़ान पर है, उसी तरह अब रायबरेली का लाल आलू भी स्वाद की दुनिया में नया नाम लिखेगा। इसकी खूबियां नमकीन में नयापन पैदा करेंगी। हालांकि, यह आलू अभी तक अनदेखी का शिकार रहा है, जबकि इसकी धमक प्रदेश में ही नहीं, बिहार व नॉर्थ ईस्ट तक है।

प्रशासन ने निर्णय लिया है कि पोटेटो प्रोसे¨सग की वर्कशॉप खोली जाएगी। साथ ही लखनऊ में 21 और 22 फरवरी को होने वाली इन्वेस्टर्स मीट में भी लाल आलू और उसकी भारी उपज वाले इलाके सलोन में निवेशकों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के दस्तावेज भेज दिए गए हैं। यदि निवेशकों का दिल इस पर आ गया तो फिर इस लाल आलू की बल्ले-बल्ले तय है।

जिले में पोटेटो प्रोसे¨सग यूनिट लगाने की तैयारियां बहुत पहले से चल रही है। लेकिन, इस पर सरकार की नजर-ए-इनायत नहीं हो सकी है।

जिले में पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का आच्छादन होता है। करीब 240 से 242 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। वहीं, लाल आलू 2.5 हजार से तीन हजार हेक्टेयर में बोया जाता है। यह आलू ही रायबरेली को अलग पहचान दिलाने के लिए तैयार है।

पोटेटो प्रोसे¨सग पार्क में इसी आलू से चिप्स व अन्य उत्पाद बनाए जाने की योजना है। इसमें बड़ा रोड़ा निवेश का है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह आलू चिप्ससोना से काफी बेहतर है। दावा है कि पूरी तरह शुगर फ्री आलू प्रदेश में रायबरेली के अलावा कहीं नहीं मिलता है।

जिला उद्योग केंद्र उपायुक्त सविता रंजन भारती ने बताया कि पोटेटो प्रोसे¨सग यूनिट के लिए प्रशासन व जिला उद्योग केंद्र पूरी तरह से लगे हुए हैं। जिले के लाल आलू से बहुत संभावना है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में यदि निवेशक मान गए तो रायबरेली का बाजार बदल जाएगा।

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