फैजाबाद जिले के अयोध्या का नाम आते ही भगवान राम का नाम आना स्वाभाविक सा है. आखिर वो हिंदुओं के इष्ट भगवान राम चंद्र की जन्मभूमि हैं. ये बात जग जाहिर है, बावजूद इसके आज भी लोग इसे साबित करने में लगे हैं और यही दो समुदायों में संघर्ष का स्वरूप बन गया है.

हिंदू और मुस्लिम समुदाय में सालों से संघर्ष:

अयोध्या में जिस भूमि को हिंदू अपनी आस्था से जोड़ते हैं, उसी भूमि को लेकर मुस्लिम समाज की अपनी भी अलग आस्था है. उनके लिए वो भूमि उनके प्रार्थना करने का स्थान यानी मस्जिद है.

इस कारण दोनों समुदाय एक भूमि के टुकडें के लिए सालों से कानूनी प्रक्रिया के जरिये अपने अपने विश्वास और आस्था को सिद्ध करने में लगे हैं.

हिंदुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमण कारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मसजिद बना दी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पहली बार 1853 में हुआ विवाद[/penci_blockquote]

  • हिंदुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद 1853 में हुआ।
  • 1859 में अंग्रेजों ने विवाद को ध्यान में रखते हुए पूजा व नमाज के लिए मुसलमानों को अन्दर का हिस्सा और हिंदुओं को बाहर का हिस्सा उपयोग में लाने को कहा।
  • 1949  में अन्दर के हिस्से में भगवान राम की मूर्ति रखी गई। तनाव को बढ़ता देख सरकार ने इसके गेट में ताला लगा दिया।

1986 में हिंदुओं के पक्ष में पहला फैसला:

इसके बाद साल 1986 में आया एक एतिहासिक फैसला. जिला न्यायाधीश के एम पाण्डेय ने इस केस की सुनावाई के बाद विवादित स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया।

Ram Janam Bhumi Controversy: Court Judgement in Favor of Hindus Twice

[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=”” font_weight=”bold” font_style=”italic”]जैसा की UttarPradesh.Org की टीम ने तात्कालिक जस्टिस के एम पाण्डेय के बेटे का Exclusive साक्षात्कार लेकर उस सुनवाई के दौरान की कई अहम बाते और दिलचस्प किस्सों से अपने पाठकों को पहले ही अवगत करवा दिया हैं.[/penci_blockquote]

अब हम बताते हैं कि इस फैसले का जो असर हुआ वो अयोध्या विवाद में हमेशा के लिये काला अध्याय और न मिट पाने वाला इतिहास बन गया.

  • साल 1986 में जस्टिस के एम पाण्डेय के फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया तो वहीँ विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल से सटी जमीन पर राम मंदिर की मुहिम शुरू की।

जस्टिस पांडेय ने दिया था राम मंदिर खुलवाने का फैसला, सुनवाई में हुआ था कुछ खास

बाबरी मस्जिद विध्वस्त

  • जिसके बाद साल 1992 में कार सेवकों ने अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को ही गिरा दिया.
  • 6 December 1992  को तकरीबन एक लाख पचास हजार लोग अयोध्या के लिए बढ़े.
  • कार सेवकों और राम भक्तों की ये रैली हिंसक को गयी और दंगे में तब्दील हो गयी.
  • जिसके परिणाम स्वरूप बाबरी मस्जिद विध्वस्त हो गयी.
  • इसके बाद तो यूपी सहित कई राज्यों में दंगें भडक गये.
  • और 2 हजार से भी ज्यादा लोग मारे गये थे.

हिंदुओं के पक्ष में दूसरा फैसला:

  • इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में केस दायर हुआ और सुनवाई शुरू हुई.
  • साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक बार फिर हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाया.
  • जस्टिस एस यू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस डी.वी. शर्मा  के तीन जजों वाली पीठ ने विवादित भूमि को राम जन्म भूमि घोषित किया गया।

Ram Janam Bhumi Controversy: Court Judgement in Favor of Hindus Twice

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]2010 में न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला[/penci_blockquote]

  • न्यायालय ने बहुमत से निर्णय दिया कि विवादित भूमि जिसे राम जन्म भूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि वहाँ से राम लला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा।

Ram Janam Bhumi Controversy: Court Judgement in Favor of Hindus Twice

  • न्यायालय ने यह भी पाया कि चूंकि सीता रसोई और राम चबूतरा आदि कुछ भागों पर निर्मोही अखाड़े का भी कब्ज़ा रहा है, इसलिए यह हिस्सा निर्मोही अखाड़े के पास ही रहेगा।
  • दो न्यायधीशों ने यह निर्णय भी दिया कि इस भूमि के कुछ भागों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों दे दिया जाए।

विवादित भूमि को राम जन्म स्थली साबित करते हैं हाईकोर्ट के ये तर्क..!!!

2010 के हाई कोर्ट का ये फैसला भले ही दोनों समुदायों की आस्था को एक साथ लेकर चलने वाला हो लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से इनकार कर दिया और इसके विपरीत सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

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