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रामनवमी 2018: सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में किया कन्या पूजन

ram navami 2018: CM Yogi Kanya Poojan Gorakhpur maa siddhidatri

ram navami 2018: CM Yogi Kanya Poojan Gorakhpur maa siddhidatri

हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नौवें द‍िन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनको मां दुर्गा की 9वीं शक्‍त‍ि बताया जाता है। इनकी उपासना से तमाम सिद्धियों की प्राप्‍त‍ि होती है। इस दिन रामनवमी का पर्व भी रविवार 25 मार्च को पूरे देश में मनाया गया। रामनवमी का पर्व भगवान राम की स्मृति को समर्पित होता है। भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट कर समस्त देशवासियों को श्री रामनवमी के महापर्व की मंगलमय शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने ट्वीटर हेंडल पर लिखा कि ‘भगवान श्री राम ने हमें धर्म का अनुसरण करते हुए जीवन जीने की प्रेरणा दी है। मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उनका जीवन हम सभी को त्याग, मर्यादाओं के पालन और कर्तव्यपरायणता की सीख देता है।’

मुख्यमंत्री गोरक्षपीठीधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने वासंतिक नवरात्रि के आखिरी दिन रविवार को गोरखनाथ मंदिर में नवमी का पूजन और हवन किया। उसके बाद उन्होंने श्रद्धापूर्वक 111 कन्याओं का पूजन किया। इसके पूर्व शनिवार की रात उन्होंने बलरामपुर के तुलसीपुर क्षेत्र स्थित देश के 51 शक्तिपीठों में एक मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में अष्टमी तिथि में श्रद्धापूर्वक निशा पूजन और शस्त्र पूजन की प्रक्रिया संपंन की। शनिवार की रात मुख्यमंत्री ने देवीपाटन मंदिर में ही विश्राम किया।

रविवार की सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 10 बजे गोरखपुर पहुंचे। यहां उन्होंने नवमी तिथि में 11:30 बजे तक सनातन हिन्दू धर्म में प्रतिष्ठित कुंवारी कन्याओं का पूजन एवं सत्कार के अनुष्ठान को संपंन कर शक्ति मां भगवती दुर्गा की आराधना की। इस बावत मंदिर में सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। बता दें कि मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में 18 मार्च से एक मास तक लगने वाला मेला चल रहा है। देवीपाटन मंदिर मंदिर गोरखपुर की गोरक्षपीठ के नाथ सम्प्रदाय के अखाड़े का मठ है। इसके मठाधीश स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही है।

इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने और दान करने से काफी पुण्य मिलता है। माना जाता है रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्मदिन हुआ था, इसलिए इस दिन पूरे समय पवित्र मुहूर्त होता है। इससे ठीक नौ दिन पहले हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। इस दिन लोग राम जन्म भूमि अयोध्या जाते हैं औप ब्रह्म मुहूर्त में सरयू नदी में स्नान करने के बाद भगवान राम के मंदिर जाकर भक्तिभाव से पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन जगह-जगह रामायण का पाठ करवाया जाता है। कई स्थानों में राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की झाकियां या पालकी निकाली जाती है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। अयोध्या में इस दिन भगवान राम के पराक्रम और गौरव की कथाएं सुनाई जाती हैं। जो लोग इस पावन दिन व्रत रखते हैं उन्हें सही तरीके से पूजा विधी और उससे संबंधित कार्य करने होते हैं।

राम नवमी का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 11:14 से लेकर 13:41 तक का है। पूजा का कुल समय 2 घंटे 27 तक होगा। इस समय के दौरान राम नवमी की पूजा विधि संपन्न करनी होगी। राम नवमी भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्राचीन त्योहार है। यह केवल भारत में ही विदेशों में रह रहें भारतीयों द्वारा भी मनाया जाता है। माना जाता है कि पूरी व‍िध‍ि से उनकी साधना करने वाले को पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्‍त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्‍त करने की क्षमता आ जाती है।

देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का भी स्वरुप माना जाता है। इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।

नवरात्रि के समापन के लिए ही नवमी पूजन में हवन किया जाता है। इनके पूजन और कथा के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाना शुभ माना जाता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है।

मां का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें- सिद्धगंधर्वयक्षादौर सुरैरमरै रवि। सेव्यमाना सदाभूयात सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

माता दुर्गा के नौवें रूप को प्रणाम करते हुए इस स्तुति का जाप करें-
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मातासिद्धिदात्री की आराधना से जातक को अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व आदि समस्त सिद्धियों एवं नवनिधियों की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

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