उप्र राशन विक्रेता संघर्ष समिति जिसमें उत्तर प्रदेश के समस्त संगठनों को विलय कर बनाया गया है। उसके तत्वाधान में अपनी मांगों के निराकरण हेतु ईको गार्डेन लखनऊ में विशाल धरने का आयोजन किया गया। सभी संगठनों के प्रदेश पदाधिकारी एवं मण्डल अध्यक्ष तथा जिला कार्यकारिणी और बूथ स्तर से लेकर राशन डीलरों की सहभागिता रही। सरकार के सामने प्रमुख मांगों को मनवाने के लिये पूरे प्रदेश से राशन डीलर धरना स्थल पर मौजूद रहे, जिसकी अध्यक्षता कार्यक्रम के राष्ट्रीय महासचिव विशम्भर बासू द्वारा की गयी और मंच का संचालन अशोक कुमार सिंह द्वारा किया गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ये हैं सात सूत्रीय मांगे[/penci_blockquote]
1- राजेश तिवारी द्वारा कहा गया कि उत्तर प्रदेश के कोटेदारों को 200 से 250 रु. प्रति कुन्तल लाभांश दिया जाये।
2- आशीष सिंह ने कहा कि सरकार को 25,000/- से 30,000/- रुपये का मासिक मानदेय अन्य राज्यों की तरह दिया जाये।
3- संगठन के सलाहकार सत्य प्रकाश गुलहरे जी ने कहा कि खाद्यान्न तथा मिट्टी का तेल को पूर्ण मात्रा एवं खाद्यान्न कट्टीवजन सहित दुकान पर पहुँचाया जाये।
4- कमलेश मिश्रा ने कहा कि 2001 से 2015 तक का परिवहन व्यय तथा एम.डी.एम. का भाड़ा दिलाया जाये।
5- अशोक मेहरोत्रा ने कहा दुकानों पर लगाये गये फर्जी मुकदमों की निष्पक्ष जांच कराकर घोटाले के असली दोषी विभाग के अधिकारी एवं आपरेटरों के विरुद्ध कार्यवाही की जाये। निर्दोष दुकानदारों की दुकान पुनः संचालित की जाये।
6- ललित सिंह ने कहा कि राशन दुकानदारों की जांच में मार्केटिंग विभाग को दायित्व न दिया जाये इन्हीं के द्वारा कोटेदारों का शोषण किया जाता है।
7- अशोक कुमार सिंह ने कहा कि नगर और देहात में ई-पास मशीन लगायी गयी हैं, मशीनें पूर्णतया फेल हैं, सर्वर कनेक्टीविटी खराब है, इसमें विवाद होता है, नगर तथा देहात दोनों मशीन तथा मैनुअल वितरण साथ-साथ कराया जाये। रोल बैट्री तथा 4 जी सिम मशीनों में डाला जाये।

उपरोक्त मांगों के सम्बन्ध में सरकार को चाहिये कि अधिसूचना जारी होने से पहले सभी मांगों को मानते हुये आदेशित कर प्रत्येक जिले में क्रियान्वयन कराया जाये। दिनांक 19 जनवरी 2019 को संघर्ष समिति के सभी मेम्बरों को बुलाकर सरकार बात करे, अन्यथा की स्थिति में दिनांक 21 जनवरी को 2019 से अनिश्चितकालीन हड़ताल व खाद्यान्न उठान बन्द किया जायेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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