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रियलिटी चेक: राजधानी से सटे गांव में 900 की आबादी पर एक भी शौचालय नहीं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही अपने भाषणों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को खुले में शौच मुक्त होने के दावा करते हों, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। अगर बात पूरे प्रदेश की ना करके राजधानी लखनऊ से करीब 30 किलोमीटर दूर इटौंजा थाना क्षेत्र की कर लें तो यहां के कई गांवों में सेक भी शौचालय नहीं है। शौचालयों ना होने के बारे में जानकारी मिलते ही uttarpradesh.org की टीम ने जब इटौंजा के अरम्बा गांव में जाकर रियलिटी चेक किया तो यहां गांव में एक भी शौचालय नहीं मिला। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने अपने चहेतों को कॉलोनी दे दी जबकि गरीबों को एक भी कॉलोनी नहीं मिली।

गांव में गंदगी की भरमार, संक्रमण फैलने का खतरा

गांव में समस्याएं यहीं कम नहीं हुईं यहां जल निकासी के लिए नाली नहीं हैं। गांव में सड़क तो दूर खड़ंजा तक नहीं है इसके चलते ग्रामीण कीचड़ में निकलने को मजबूर हैं। मासूम बच्चे हाथ में चप्पल और जूते लेकर प्राथमिक विद्यालय पढ़ने जाते हैं। यही नहीं गांव में सफाई कर्मचारी ना आने के कारण गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। गंदगी के चलते बीमारियां फैल रही हैं, ग्रामीणों के ऊपर मलेरिया और संक्रमण का खतरा मडरा रहा है। गांव के लोग भयंकर बदहाली की मार झेल रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं है। आरोप है कि गांव में विधायक वोट मांगने तो आये थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद आज तक झाँकने नहीं आये। विधायक को ग्रामीण पहचानते तक नहीं हैं। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या इन गरीब लोगों की समस्याएं दूर होंगी या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।

जिम्मेदार लगा रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान को पलीता

भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां एक ओर स्वच्छता के संदेश दिए जा रहे हैं। लोगों के खुले में शौच करने से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा हे वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार इस अभियान का पलीता लगा रहे हैं। लखनऊ के बीकेटी विकासखंड के अरम्बा ग्राम पंचायत में एक भी शौचालय निर्माण नहीं कराया गया है। इस ग्राम पंचायत के मजरों में भी एक भी शौचालय नहीं है। ग्राम पंचायत में करीब 900 की आबादी है लेकिन मजबूरन लोगों को खुले में शौच जाना पड़ रहा है। ऐसा नहीं कि यहां के लिए योजना नहीं आई। योजना तो आई मगर अफसरों ने कागजों से नहीं निकलने दिया। ग्रामीणों ने शौचालय बनवाने के लिए आला अफसरों तक गुहार लगाई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अफसर कान में तेल डालकर बैठे हैं, गांव में केवल शौचालय बनवाने के लिए एक दो गढ्ढे खुदवाकर छोड़ दिए गए वो भी हादसे का कारण बन रहे हैं।

कॉलोनियों में भी ग्राम प्रधान के किया घपला

अरम्बा गांव में शौचालय नहीं बने ना कोई मदद मिली। मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी गांव की महिलाओं को होती। रात में उनको खेतों में जाना पड़ता है। शौचालय ना होने से हम महिलाओं को भी शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता है। महिलाओं ने कहा कि हमें भी शर्म आती है, लेकिन क्या करें पिछले कई वर्षो से शौचालय बनवाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। ग्राम प्रधान के कार्यकाल में भी शौचालय नहीं मिला। हमारी आर्थिक स्थिति इस लायक नहीं कि हम शौचालय बनवा सकें। सरकारी मदद न मिल पाने से पूरे गांव में शौचालय नहीं बन सकें हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 11 कॉलोनी आयी थी लेकिन 10 कॉलोनी उन लोगों को दी गईं जो ग्राम प्रधान की जी हुजूरी करने के लिए उनके दरवाजे पर बैठते हैं।

15 ग्राम सभाओं में नहीं है पंचायत भवन

बीकेटी ब्लॉक क्षेत्र की पंद्रह ग्राम सभाएं ऐसी जहां अभी तक पंचायत भवन नहीं बन सका है। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और प्रधान कामकाज निपटाने का कोई ठिकाना तय नहीं हो सका है। बीबीपुर, देवरी रुखारा, शाहपुर, सरसावा, पृथ्वीपुर बरगदी कला, दौलतपुर, रसूलपुर कायस्थ, राजा सलेमपुर आलमपुर, खेड़ा बरगदी, सुल्तानपुर मदारीपुर, बेहटा गुलालपुर इत्यादि गांव ऐसे हैं कि इनमें पंचायत भवन भी नहीं हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधानों ने पंचायत भवन निर्माण के लिए आया धन निकालकर बंदरबांट करके खा लिया।

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