भले ही आप परिवहन विभाग में आप काफी उम्मीदें लेकर सफर करने का मन बना रहे हों लेकिन यह सोचना भी बेईमानी हो सकती है। यह हम नहीं बल्कि बसों की बदहाल स्थिति खुद बता रही है। uttarpradesh.org ने जब इसकी हकीकत परखी तो परिवहन विभाग की सच्चाई सामने आ गई। हालाकि हमारे चीफ फोटो जनर्लिस्ट आशीष पांडेय ने इस बदहाली को अपने कैमरे में कैद कर लिया। पेश है एक रिपोर्ट…

देखिये बदहाली की कुछ खास फोटो:

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राम भरोसे हो रही यात्रा

  • पविहन विभाग की बसों में यात्रा राम भरोसे हो रही है।
  • यह कहना एकदम गलत नहीं होगा क्योकि इन बसों में करोड़ों रुपये का बजट पास होता है लेकिन कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जाता है।
  • बसों की जर्जर हालत देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।
  • इन बसों में लगी सीटों को तो दीमक खा ही रहे हैं बल्कि सीटें एक दम ख़राब हो रहीं हैं।
  • कई बसों के शीशे भी टूटे फूटे लगे हैं, कुल मिलाकर बसों की खस्ता हालत देखकर यात्री इनमें बैठने से भी कतराते हैं।
  • जिम्मेदार अधिकारी भी निरीक्षण के दौरान सिर्फ टिकट चेक कर लेते हैं लेकिन यात्रियों को क्या सुविधाएं मिल रही हैं।
  • इस ओर किसी भी जिम्मेदार का ध्यान नहीं जाता।
  • शायद जिम्मेदार सिर्फ यात्रियों की परवाह किये बगैर अपनी ड्यूटी की खानापूर्ति कर रहे हैं।
  • यात्रियों का कहना है कि उनसे यात्रा के लिए उचित पैसे तो लिए जाते हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

  • रोडवेज बसों की खस्ता हालत के संबंध में जब हमने परिवहन आयुक्त के रवींद्र नायक से बात की तो उन्होंने हमें इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
  • उन्होंने बताया कि अब बसों को पिछले माह एक जनवरी से सभी बसों को एआईएस 052 पर निर्मित बसें ही आरटीओ में पंजीकृत हो रही हैं।
  • यह कोड पूरे देश में धीरे-धीरे लागू हो रहा है।
  • इन बसों में 2 X 3 के हिसाब से सीटों की व्यवस्था होगी।
  • इन बसों में पीछे सीढ़ी नहीं होगी ना ही सामान छत पर रखा जा सकेगा।
  • इन बसों में आपातकालीन खिड़की पहले की अपेक्षा थोड़ा अधिक बड़ी होगी।
  • साथ ही आपातकालीन खिड़की के पास सीटों में थोड़ा गैप होगा।
  • छत पर रखा जाने वाला सामान वॉल्वो की तर्ज पर बस के अंदर ही नीचे की तरफ बॉक्स रखा जा सकेगा।
  • ड्राइवर की सुरक्षा को देखते हुए स्टेयरिंग और सीट के बीच में गैप होगा।
  • साथ ही फस्टऐड की भी बेहतर व्यवस्था के साथ अग्निशमन यंत्र भी बेहतर होंगे।
  • उन्होंने बताया कि अगर किसी यात्री को अगर ड्राइवर या क्लीनर से कोई शिकायत है तो बस के अंदर ड्राइवर की सीट के पीछे लिखे परिवहन विभाग के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकता है।

सुरक्षा के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम

  • परिवहन विभाग की इन बसों में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
  • इन बसों में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं हैं अगर हैं भी तो एक्सपायरी डेट के आग बुझाने के उपकरण लगे हैं।
  • यहां तक कि नाम न छापने की शर्त पर एक ड्राइवर ने बताया कि उसे आग बुझाने के उपकरण को एक्टिवेट करने के बारे में भी जानकारी नहीं है।
  • अग्निशमन यंत्र रखने की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है।
  • इन रोडवेज बसों में फस्टऐड बॉक्स तो लगा है लेकिन उनमें प्राथमिक उपचार के लिए किसी भी प्रकार की कोई दवाई नहीं है।
  • इन बॉक्सों में या तो कचरा भरा है या तो कागज।
  • कुछ बसों में लगे फस्टएड बॉक्स जंग खा चुके हैं जिन्हें सालों से खोला ही नहीं गया है।
  • बसों में लगे मेंटिनेंस बोर्ड पर भी सालों पुरानी तिथि दर्ज है।
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