यूपी और एनसीआर में वर्तमान समय में रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) और बेईमान बिल्डरों से जनता काफी परेशान है। रेरा की वेबसाइट पर 24 घंटे के भीतर 20 हजार शिकायतें दर्ज हुई हैं। प्रत्येक शिकायत पर एक हजार रुपये रेरा फीस लेता है। लोगों का कहना है कि पहले बिल्डर ने लूटा अब शिकायत के नाम पर रेरा पैसे ऐंठ रहा है।

लोगों के जेहन में एक सवाल है कि रेरा पर शिकायत दर्ज करने के लिए भारी फीस क्यों है? आरोप है कि इतनी फीस से छोटे निवेशक शिकायत भी नहीं कर सकते। अफसरों की साजिश से ये शिकायत फीस महंगी हुई है। सवाल यह भी है कि गरीब निवेशकों के साथ ये कैसा न्याय है? परेशान लोग पैसा जुटाकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं। फिलहाल रेरा की वेबसाइट में बिल्डरों की लूट की बाढ़ आ गई है। इस पर लगाम कैसे लगेगी ये आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में चल रही 82 परियोजनाएं :

  • हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) नियमों ने रियल स्टेट कानून के दायरे से बाहर एनसीआर में चल रहे बहुसंख्यक रियल स्टेट परियोजनाओं को दायरे से बाहर कर दिया है।
  • सरकार और उद्योग के अधिकारियों के अनुसार इनकी संख्या गुड़गांव में 90% है।
  • फ्लैटों के वितरण में तत्काल उपलब्ध नहीं कराने की दृष्टि से नोएडा सबसे पीछे है।
  • लेकिन उद्योग निरीक्षकों को नोएडा की तुलना में गुड़गांव से ज्यादा उम्मीद है।
  • क्योंकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने अपने रियल स्टेट (विनियमन) में शामिल होने वाली चालू परियोजनाओं के लिए इसी मापदंड का इस्तेमाल किया है।
  • नियमन और विकास अधिनियम नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में 82 बिल्डर परियोजनाएं चल रहे हैं।

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दोनों राज्यों ने आवेदनों को RERA से बाहर रखने का फैसला लिया:

  • दोनों राज्यों की ओर से जारी किये गये या अधिभोग प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन किया गया है।
  • उसे रेरा परियोजनाओं के दायरे से बाहर रखने का भी फैसला किया है।
  • यह केंद्रीय रेरा से इस महत्वपूर्ण अंतर को 1 मई के अधिसूचित किया गया है।
  • जिसमें छूट कि लिए बेंचमार्क के रूप में पूरा प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ था। उदाहरण के लिए, गुड़गांव में, अनुमानित 1.7 लाख इकाइयों (फ्लैट/ घर) के 90% जो कि निर्माण या पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं।
  • या तो पहले से ही अधिभोग प्रमाणपत्र प्राप्त कर चुके हैं या इसके लिए आवेदन किया है, या भाग-पूर्णता प्राप्त है।
  • यह हरियाणा रेरा का हिस्सा नहीं होगा। भाग पूरा करने का यह मतलब नहीं है कि पूरी परियोजना को रेरा से बाहर रखा गया है।
  • परियोजना के अन्य टावर पूर्ण होने के बावजूद अभी भी निर्माण के लिए एक टावर को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।

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एकत्रित की जाएंगी परियोजना के लिए सुविधाएं :

  • दोनों शहरों के घरेलू खरीददारों ने कहा कि वे इस अधिनियम के कमजोर पड़ने पर नाखुश थे क्योंकि मुख्य समस्या ये थी कि यहां पर कब्जे में देरी हुई है।
  • occupancy certificate ये तब दिया जाता है बज बिल्डिंग पूरी हो जाती है।
  • लेकिन यहां जो बिल्डिंग हैं, उन्हें यह occupancy पेपर्स नहीं दिये गये हैं।
  • इसके तहत खरीददार रेरा पर निर्भर नहीं रह सकते हैं।
  • एक आवास परियोजना में 20 टावर हैं जिनमें से तीन के पास अधिभोग पत्र हैं, तो उन तीन टावर भी रेरा के तहत नहीं आएंगे,
  • इसलिए इन परियोजनाओं में खरीदार, समाधान के लिए रेरा पर निर्भर नहीं कर सकते।
  • हालांकि पूरी परियोजना के लिए सुविधाएं एकत्रित की जाएंगी।

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