वर्ष 1984 का वह मनहूस पल आज भी कुलदीप सिंह को याद है जब उनके पिता स्व. करतार सिंह की ऐशबाग रोड पर मोटर स्पेयर पार्ट्स एवं साइकिल पार्ट्स की दुकान को दंगे की आग में जला दिया गया था। आग की लपटें शांत हुईं तो सरकारों ने मदद की बातें कहीं लेकिन वह इससे अछूते ही रहे। अब 33 साल बीतने के बाद कुलदीप बूढ़े हो चले हैं। बावजूद इसके मदद की उम्मीद लिए कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं जिससे उनके बेटे का भविष्य सुरक्षित हो सके।

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 एलडीए सचिव से की फरियाद

  • 74 वर्षीय कुलदीप सिंह सेठी लखनऊ विकास प्राधिकरण पहुंचे थे।
  • यहां उन्होंने सचिव जय शंकर दुबे से मुलाकात की।
  • कुलदीप ने अपने प्रार्थना पत्र के साथ उक्त शासनादेश को भी संलग्न किया।
  •  जिसमें 84 के पीडि़तों को उनकी आवश्यकतानुसार मकान व दुकान को प्राथमिकता पर दिया जाए, लिखा था।
  • साथ ही, निवेदन किया कि मेरी जिंदगी को कैसे भी कर करके कट गई।
  • अब इच्छा है कि बेटे को एक दुकान दे जाऊं जिससे वह जीवनयापन कर सके।
  • उनकी इन बातों को उनके दिल में छिपी वेदना साफ प्रकट हो रही थी।
  • लिहाजा सचिव ने भी उन्हें प्रेमपूर्वक बिठाकर मामले का परीक्षण कराने का आश्वासन दिया। आलमबाग में रह रहे कुलदीप सिंह ने कहा कि अगर हो सके तो गोमतीनगर योजना या कहीं और दुकान आवंटित करा दें।
  • कुलदीप ने बताया कि उन्होंने जनपथ मार्केट हजरतगंज में एक खाली प्लॉट के लिए आवेदन किया था।

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  • बाद में पता चला कि उस प्लॉट में सरकारी साइकिल स्टैंड है।
  • इस वजह से वह उन्हें आवंटित नहीं किया गया।
  • इसके बाद उन्होंने नया प्रार्थना पत्र तैयार कर एलडीए के सामने मांग रखी।
  •  कि गोमती नगर योजना के अंतर्गत पत्रकारपुरम के आसपास कोई दुकान या प्लॉट आवंटित किया जाए।
  • हालांकि इस दिशा में अभी कोई कदम नहीं उठाया गया है।
  • इस वजह से वे अब भी एलडीए के चक्कर काट रहे हैं।

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यह है शासनादेश

  • कुलदीप ने बताया कि साल 2000 में शासनादेश जारी हुआ था।
  • इसमें यूपी के सभी प्राधिकरण को अपनी योजनाओं में दंगा पीडि़त परिवारों को दुकान या प्लॉट आवंटित करने को कहा था।
  • इसके बाद उन्हें कानपुर में एक जगह आवंटित की गई लेकिन वह लखनऊ में ही प्लॉट या दुकान चाहते थे।
  • इसके बाद वह शांत बैठ गए।
  • छह माह पहले उन्हें पता चला कि जिस शहर में दंगा पीडि़त रह रहे हैं, उन्हें वहां ही प्लॉट आवंटित किए जाएंगे।
  • एलडीए सचिव जयशंकर दुबे पीडि़त की ओर से जो प्रार्थना पत्र दिया गया है, उसका परीक्षण कराया जा रहा है।
  • जल्द ही इस दिशा में कदम उठाया जाएगा, जिससे पीडि़त को राहत मिले।

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