राष्ट्रीय लोकदल उ0प्र0 के अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद (Dr Masood Ahmad) ने उच्च न्यायालय के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुये कहा है कि प्रदेश में गरीबों, मजदूरों एवं किसानों के हितों की रक्षा उच्च न्यायालय द्वारा ही सम्भव है।

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  • अन्यथा शासन और प्रशासन के लोग इनकी दुर्दशा पर दया करने के स्थान पर प्रताड़ना देना अच्छा समझते हैं।
  • यही कारण है कि इन गरीबों तथा किसानों के कर्जों की वसूली के लिए 10 प्रतिशत रिकवरी चार्ज लगाते हैं।

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  • उच्च न्यायालय ने राजस्व अधिकारियों एवं तहसीलदारों को फटकार लगाते हुये उनको इस प्रकार की कार्यशैली को निरंकुश एवं शैतानी करार दिया है।
  • कहा है कि संविधान के अनुसार केवल 5 रूपये और 10 रूपये शुल्क ही लिया जा सकता हैं।

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घेराव की दी चेतावनी

  • डाॅ0 अहमद ने कहा कि प्रदेश की पूर्व सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया मूल्य हजारों करोड़ रूपया मिल मालिकों के पक्ष में माफ कर दिया था।
  • परन्तु उच्च न्यायालय ने उसे भी निरस्त करके किसानों को ही भुगतान करने का आदेश दिया था।
  • परन्तु न ही पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार ने उसका भुगतान किया और न ही वर्तमान सरकार ने अब तक किसानों की सुध ली।

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  • उल्टे भाजपा किसानों को प्रताड़ित करते हुये 10 प्रतिशत रिकवरी चार्ज लगाकर वसूली करवा रही है।
  • जबकि चुनाव के समय कर्जमाफी का वायदा किया था।
  • सरकार का इस प्रकार का आचरण गरीबों, मजदूरों और किसानों के साथ धोखा है और निंदनीय है।
  • रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने गरीब जनता को जागरूक करते हुये कहा कि यदि सरकार और अधिकारियों की इस प्रकार उत्पीड़न की कार्यशैली को उजागर किया जाय।
  • संज्ञान (Dr Masood Ahmad) में आने पर ऐसा करने वाले अधिकारियों का राष्ट्रीय लोकदल कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों द्वारा घेराव किया जाये।

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