2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सभी की नजर कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर टिकी हुई है। कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देश भर में भाजपा एक संदेश देना चाहती है कि 2014 की तरह मोदी लहर आज भी कायम है। विपक्षी दलों के लिए इस लहर से पार पाना एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि कैराना में सपा ने रालोद की पकड़ को समझते हुए उससे गठबंधन किया है। इस तरह सपा की तबस्सुम हसन अब राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव निशान पर मैदान में होंगी। इस बीच गठबंधन से नाराज पश्चिम यूपी के कद्दावर जाट नेता ने भाजपा में जाने का ऐलान कर दिया है जिससे गठबंधन को बड़ा झटका लगा है।

रालोद के सिम्बल पर लड़ेंगी सपा प्रत्याशी :

जयंत चौधरी की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मीटिंग के बाद साफ़ हो गया है कि कैराना लोकसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल भाजपा के खिलाफ उतरेगा। सपा ने अपना समर्थन रालोद को देते हुए शर्त रखी थी कि प्रत्याशी उसकी पार्टी से होना चाहिए जिसे रालोद ने मान लिया है। अब कैराना लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी तबस्सुम हसन रालोद के सिम्बल पर चुनाव लड़ेंगी। इसका अर्थ है कि प्रत्याशी समाजवादी पार्टी का होगा और चुनाव चिन्ह इस उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल का होगा। गठबंधन के कोटे के तहत सपा ने ये सीट रालोद को दी है। इसके तहत सपा नेत्री तबस्सुम बेगम को रालोद के सिम्बल पर चुनाव लड़ाया जाएगा।

 

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जाट नेता ने ज्वाइन की भाजपा :

कैराना उपचुनाव की घोषणा होने के पहले से रालोद जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाने का समर्थन कर रही थी लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मीटिंग के बाद रालोद ने अपना ये दावा छोड़ दिया था। रालोद के इस फैसले से उसके कुछ नेता नाराज थे। इनमें से एक राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी साहब सिंह थे जिन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा से दिया है। चौधरी साहब आज लखनऊ पहुँचे और भाजपा को ज्वाइन कर लियी है। उनके साथ ही बसपा के पूर्व नेता चरण सिंह भारती, बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रजनीकांत जाटव भी बीजेपी में शामिल हुए हैं। कैराना उपचुनाव में सपा और रालोद के गठबंधन के लिए ये बड़ा झटका बताया जा रहा है।

 

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