आलू किसानों की समस्या को लेकर राजधानी लखनऊ के हज़रतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर मंगलवार को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद सहित तमाम कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विधानसभा के चुनाव में किसानों की समस्या को अपने एजेंडे में रखा था।

लेकिन सरकार में आने के बाद किसान आज बदहाली से जूझ रहा है। सरकार का ध्यान किसानों की तरफ बिल्कुल भी नहीं है। सरकार ने जो वादा किसानों से किया था वो पूरा नहीं कर पा रही है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर आने वाले समय मे किसानों की समस्या दूर नहीं होती तो हम पूरे उत्तर प्रदेश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

आगरा के खंदौली में बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी

डॉ. मसूद अहमद ने कहा है कि अगर इस प्रदर्शन के बाद योगी सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो आगामी 18 जनवरी को प्रदर्शन किया जायेगा। ये बड़ा प्रदर्शन जयंत सिंह चौधरी नेतृत्व में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी या तो मान लें कि भाजपा किसान विरोधी है। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शन में हम लाखों किसानों को इकठ्ठा करके सरकार को किसानों के हित में फैसला सुनाने को मजबूर करेंगे। अगर सरकार नहीं मानती है तो फिर ये प्रदर्शन आंदोलन के रूप में बदल जायेगा। किसानों के हित में ये आंदोलन पूरे उत्तर प्रदेश में चलाया जायेगा।

धरने को सम्बोधित करते हुये प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि प्रदेश के आलू किसानों की समस्या विशेष रूप से सोचनीय है। विगत तीन वर्षों से आलू किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है जिससे उन किसानों की आर्थिक स्थिति सोचनीय हो चुकी है। वर्तमान वर्ष में भी आलू की खपत न होने के कारण शीतगृहों से निकालकर किसान उसे सड़कों पर फेक रहा है। आगामी फरवरी माह में आलू की नई फसल तैयार हो रही है जिसकी भावी स्थिति को सोचकर किसान भयभीत है। धरने को मुख्य रूप से राष्ट्रीय महासचिव वंश नारायन सिंह पटेल, राष्ट्रीय सचिव शिवकरन सिंह, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल दुबे, राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र यादव ने भी सम्बोधित किया।

ज्ञापन में रालोद पदाधिकारियों द्वारा मांग की गयी कि माह जनवरी के अन्त तक आलू के लाभप्रद समर्थन मूल्य की घोषणा करके फरवरी के दूसरे सप्ताह से आलू की सरकारी खरीद की व्यवस्था सुनिष्चित की जाय, शीतगृह भण्डारण दर वर्ष 1998 से पहले की व्यवस्थानुसार गठित विषय विशेषज्ञों-किसान-शीतगृह स्वामी की कमेंटी द्वारा तय की जाय और इस दर की घोषणा की प्रत्येक दशा में फरवरी के प्रथम सप्ताह में कर दी जाय तथा आलू उत्पादन में प्रदेश के अग्रणी जनपदों आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ, फिरोजाबाद, फर्रूखाबाद कन्नौज हापुड मेरठ आदि में आलू प्रसंस्करण उद्योग स्थापित किये जाएं, पिछली बार घोषित आलू समर्थन मूल्य तथा स्टोर का भाड़ा सरकार मुआवजे के रूप में उन किसानों को दे जिनका आलू नहीं बिका है।

गौरतलब है कि अभी हाल ही में किसानों ने यूपी विधानसभा, राजभवन और सीएम आवास के बाहर किसानों ने रातभर आलू फेंककर सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। सुबह-सुबह सड़क पर इतनी ज्यादा मात्रा में आलू देखकर पुलिस व प्रशासन महकमे में हड़कंप मच गया। कार्रवाई के डर से अधिकारी खुद से आलू उठवा रहे थे। इस दौरान कुंतलों आलू वाहनों के पहियों में दबकर बर्बाद हो गए थे। किसानों ने आलू फेंककर विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि इस समय प्रति किलो आलू की कीमत 4 रुपए मिल रही है जबकि उनकी मांग है कि कम से कम 10 रुपए प्रति किलो आलू के दाम मिले। हालांकि पुलिस ने इस घटना में एक सपा कार्यकर्ता और डाला चालक को कन्नौज से गिरफ्तार कर मामले को रफा-दफा कर दिया था।

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