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नगर निगम पर 3.50 अरब रुपये की देनदारी का ग्रहण

नगर निगम ने पुनरीक्षित बजट में खर्च तो बढ़ा दिए हैं लेकिन, हकीकत में नगर निगम का खजाना खाली है। करीब साढ़े तीन अरब की देनदारी के बोझ से दबे नगर निगम शहर का विकास कैसे कराएगा? इस पर सवाल खड़े होने लगे हैं। उधर, अधिकारी भी परेशान हैं कि पुरानी देनदारी तो उतर नहीं रही है तो नई देनदारी चढ़ जाने से नगर निगम कंगाल घोषित न हो जाए। खचरें में कमी न आने से ही नगर निगम का यह हाल हुआ है। प्रचार कर जीएसटी में चले जाने, सभी भवनों से हाउस टैक्स में लापरवाही, अवस्थापना निधि की सौ करोड़ की रकम शासन में फंसी होने और राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि में कटौती से भी नगर निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।

ऐसे हाल में नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी वार्ड विकास निधि की फाइलों को छोड़कर सड़क व अन्य निर्माण की फाइलों पर अपनी स्वीकृति देने से मना कर दिया है। मंगलवार को गोमतीनगर के एक पार्षद भी 80 लाख से विकास कराने की फाइल को स्वीकृति करने से मना कर दिया। नगर आयुक्त कहते हैं कि सरकारी भवनों से हाउस टैक्स न मिलने, प्रचार कर जीएसटी में चले जाने, राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली निधि से लगातार कटौती होने और अवस्थापना निधि का सौ करोड़ भी नहीं मिल पाया है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]अपर नगर आयुक्त मामले को दबाए हुए बैठे[/penci_blockquote]
➡आलमबाग के चंदरनगर में भवन संख्या 552/095 का कर अधीक्षक राकेश सिंह ने बिना जांच किए ही वार्षिक मूल्य 97200 को घटाकर 13986 वार्षिक मूल्य कर दिया था। जोन चार में तैनात कर अधीक्षक जयप्रकाश यादव के खिलाफ भी कर निर्धारण करने के आरोप की जांच नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी ने दी थी, लेकिन जांच अधिकारी अपर नगर आयुक्त अमित कुमार मामले को दबाए हुए हैं।
➡होर्डिंग, ट्री गार्ड व अन्य प्रचार मद का बकाया पैसा भी नगर निगम नहीं वसूल पा रहा है। 483 पंजीकृत होर्डिंग लगाने वाली एजेंसियों पर ही करीब 35 करोड़ का बकाया है।
➡लालबाग की सुपर मार्केट की करीब चार सौ दुकानों का किराया नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी हजम कर रहे थे।
➡अभियंता लेखा विभाग से वित्तीय स्थिति का आंकलन किए बिना ही विकास की फाइलें तैयार कर रहे हो रही है।
➡नगर निगम कार्यदायी संस्था से सफाई कर्मचारियों की तैनाती पर पचास करोड़ सलाना खर्च कर रहा है, लेकिन शहरवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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