बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भाई-भतीजावाद के आरोप से बचने के लिए अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। इतना ही नहीं यह भी साफ कर दिया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुई कोई अपने नाते-रिश्तेदार को पार्टी में पद नहीं देगा। रामअचल राजभर को हटाकर आरएस कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसे मायावती का ओबीसी को लुभाने का कार्ड माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पेपर वर्क देखने के लिए अपने छोटे भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था, लेकिन इसके बाद से ही कांग्रेस व अन्य पार्टियों की तरह बसपा में भी परिवारवाद को बढ़ावा देने की खबरें मीडिया में आने लगीं। उन्होंने रामअचल राजभर को पार्टी का नया राष्ट्रीय महासचिव बनाया है।

रामअचल राजभर को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया

मायावती ने पार्टी का जनाधार देशभर में फैलाने के लिए पार्टी संविधान में संशोधन करते हुए नए पदों की व्यवस्था की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिक उम्र होने पर फील्ड में काम करने में यदि कमजोर होता है तो उसकी सहमति पर उसे ‘राष्ट्रीय संरक्षक’ बनाया जाएगा। नया राष्ट्रीय अध्यक्ष जो भी बनेगा वह राष्ट्रीय संरक्षक के निर्देश में काम करेगा। इसके साथ ही पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर दो नेशनल कोआर्डिनेटर राज्यसभा सदस्य वीर सिंह एडवोकेट व जय प्रकाश सिंह बनाए गए हैं। मौजूदा बसपा प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर के स्थान पर आरएस कुशवाहा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। रामअचल राजभर को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। सतीश चंद्र मिश्रा राष्ट्रीय महासचिव पूर्व की तरह पार्टी का लीगल काम देखते रहेंगे और अपरकास्ट को पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे।

परिवार के किसी सदस्य को पार्टी संगठन में पद नहीं

मायावती ने कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए कांशीराम शादी-विवाह, जन्म व मृत्यु आदि के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए। पारिवारिक मोह छोड़कर मां-बाप भाई बहन को हमेशा पार्टी से दूर रखा। बसपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मायावती ने देशभर से आए पार्टी पदाधिकारियों को भविष्य की नीतियों का ब्यौरा पेश किया। कहा, बसपा का जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा उसके जीते-जी व उसके ना रहने के बाद भी उसके परिवार के किसी सदस्य को पार्टी संगठन में पद पर नहीं रखा जाएगा। उसके परिवार के सदस्य बिना किसी पद के एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में निस्वार्थ भाव से कार्य कर सकते हैं। इसके लिए कांशीराम के जीवन से जुड़े उनके कुछ सख्त फैसलों की याद दिलाई।

मायावती ने इन नेताओं को सौंपी ये जिम्मेदारी

मायावती ने वीर सिंह और जेपी सिंह को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही आगाह भी किया। उन्होंने कहा, मैं इन दोनों लोगों पर अभी निर्भर रहने वाली नहीं हूं। अगले 20-22 वर्षों तक खुद ही आगे व सक्रिय रहकर पार्टी को बढ़ाऊंगी। ऐसे में 20-22 वर्ष तक किसी को भी पार्टी का मुखिया बनने और मेरा उत्तराधिकारी बनने का सपना नहीं देखना चाहिए। मायावती ने बसपा प्रदेश मुख्यालय पर राष्ट्रीय अधिवेशन व कार्यसमिति की बैठक में ये एलान करते हुए कहा कि दूसरे दलों में गए लोगों ने भी बसपा के लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया था।

मायावती ने संविधान के नए प्रावधान पर कदम उठाते हुए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव वीर सिंह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिया। माया ने बड़ी जिम्मेदारी देने के साथ ही वीर सिंह से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी वापस ले ली है। इसी तरह जेपी सिंह को दिल्ली व राजस्थान के कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया गया है। मायावती ने अधिवेशन में बताया कि गौतमबुद्धनगर के रहने वाले जेपी सिंह भी दलित हैं। पार्टी के लिए परिवार छोड़ने के साथ ही अविवाहित भी हैं।

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