उपराष्ट्रपति देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद को धारित करते हैं। इस पद का अपना निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। इस प्रोटोकॉल के अनुसार उपराष्ट्रपति की सुरक्षा में प्राइवेट वाहन नहीं लगाए जा सकते हैं, लेकिन लखनऊ की समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा लखनऊ के एसएसपी कार्यालय में लगाई गई आरटीआई के जबाब से ये चौंकाने वाली बात सामने आई है कि बीते साल 11 जुलाई को उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के गोमतीनगर स्थित ‘आरटीआई भवन’ का उद्घाटन करने राजधानी आये उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की सुरक्षा से जबरदस्त खिलवाड़ करते हुए राजधानी पुलिस ने अंसारी की सुरक्षा में प्राइवेट वाहन लगाए।

दस महीने बाद दिया गया RTI

  • बीते साल 16 जुलाई को दायर की गई आरटीआई का जबाब बीते 4 मई को साढ़े दस महीने बाद दिया गया है जो पुलिस महकमे की सूचना कानून के प्रति उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण है।
  • उर्वशी को दी गई सूचना के अनुसार पुलिस ने उपराष्ट्रपति की सुरक्षा से समझौता कर जो प्राइवेट वाहन लगाए थे उनका खर्चा रुपया 33,698/- सरकारी खजाने से निकाला है।
  • प्रतिसार निरीक्षक रिज़र्व पुलिस लाइन लखनऊ ने उर्वशी को यह भी बताया है कि उपराष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए एन्टी डेमो वाहन हेतु हूटर क्रय करने और लाउडहेलर की बैटरी खरीदने के लिए राजधानी पुलिस ने रुपया 7330/- खर्चा किया।
  • उपराष्ट्रपति के आने पर ही एन्टी डेमो वाहन हेतु हूटर क्रय करने और लाउडहेलर की बैटरी खरीदने को ‘प्यास लगने पर ही कुआं खोदना’ जैसा बताते हुए समाजसेविका उर्वशी ने सुरक्षा इंतजामों को लेकर लखनऊ पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए इस संबंध में उपराष्ट्रपति को शिकायत भेजने की बात कही है।

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