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सड़क सुरक्षा सप्ताह: हर 28 मिनट में एक व्यक्ति की हो रही मौत

sadak suraksha saptah 2018: A person is dying every 28 minutes

sadak suraksha saptah 2018: A person is dying every 28 minutes

प्रदेश में लाख कवायदों के बाद भी सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या कम नहीं हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 में जहां रोज 13 लोगों की हत्या हुई, वही सड़क हादसों में 51 लोगों ने अपनी जान गवाई। हालांकि सरकार की तरफ से सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत गोष्ठियां और रैली जैसे जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं पर कुछ दिन बाद सब कुछ पहले जैसा ही हो जाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वेबसाइट के मुताबिक, अपने सामने वाले की लापरवाही से हर 28 मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो रही। वहीं रंजिश से जाने वाली जान इसके मुकाबले कहीं कम है।

पुलिस के डर से हेलमेट लगाना शुरू किया

प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही अधिकारियों ने अपने हिसाब से नियम-कानून भी लागू किए। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसों में कमी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे। उसके बाद सीट-बेल्ट और बाइक पर पीछे वाली सवारी के लिए हेलमेट लगाना अनिवार्य करने जैसे निर्देश दिए थे। वहीं सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत गृह विभाग और पुलिस ने मिलकर हफ्ते में एक दिन बुधवार को अभियान चलाने का निर्णय लिया। नतीजा यह हुआ कि पुलिस के डर से ट्रैफिक नियमों का पालन करने वाले बाकी दिनों में हेलमेट लगाना और सीट बेल्ट बांधना छोड़ दिया।

कई विभाग निभा रहे हैं जिम्मेदारी

सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत लोगों को जागरुक करने के लिए विभागों को जिम्मेदारी दी गई है। इसमें परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और जिला पंचायत की जिम्मेदारियां कम नहीं है। हादसों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ओवरलोड ट्रक हैं। दूसरे नंबर पर खस्ताहाल सड़के हैं। शहरी क्षेत्रों में डिवाइडर चौराहों पर सिग्नल हैं।

रेस लगाकर बना रहे रिकॉर्ड, गंवा रहे जान

हालांकि हादसों के लिए सबसे अधिक दोष पुलिस पर ही आ जाता है। जाम और उबड़ खाबड़ रास्ते से मुक्ति के लिए लोग लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर रेस लगाते हैं। कोई 2 घंटे में आगरा तो कोई 4 घंटे में दिल्ली पहुंचने का रिकॉर्ड बना रहा है। यही रफ्तार लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो रही है। लखनऊ से आगरा के बीच 302 किलोमीटर के एक्सप्रेस वे पर अब तक 125 लोगों की जान जा चुकी है। एक आरटीआई के मुताबिक पिछले 6 महीने में 698 लोगों की जान गई। लेकिन फिर भी लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।

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