पीलीभीत सीट से सपा इन्हें लड़ा सकती है लोकसभा 2019 का चुनाव

एक बार फिर लोकसभा 2019 के चुनाव को लेकर पीलीभीत सीट पर सभी की नजरे गढ़ चुकी है। जैसे ही प्रदेश में सपा बसपा व आरएलडी के गठबंधन में अपनी सीटों की लिस्ट जारी कर चुकी है। उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा एक और लोकसभा सीट है जिसे गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। पीलीभीत लोकसभा सीट पर पिछले करीब तीन दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही राज रहा है। मेनका गांधी मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं और पीलीभीत से 6 बार सांसद चुनी जा चुकी हैं।काफी समय से हेमराज कर रहें लोकसभा चुनाव की तैयारी।

  • मेनका के खिलाफ लगातार एक साल से क्षेत्र में मेहनत कर रहे हेमराज।
  • कार्यकर्ताओं के साथ पिकनिक व नए साल का जश्न मनाते हुए किया कार्यकर्ता सम्मेलन।
  • इन सभी को देखते हुए यही आंकलन किया जा रहा है कि हेमराज ही होगें पीलीभीत से सपा के प्रत्याशी।
  • और उन्हें ही सपा का पीलीभीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज़ अहमद ने भी माना लोकसभा के लिए हेमराज वर्मा पीलीभीत का प्रत्यासी

पत्रकारों के वार्ता करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद ने कहा कि अभी हमारा गठबंधन बसपा के साथ हुआ है और यह भी देखना है कि पीलीभीत की सीट किसके खाते में जाती है। हमने यहां से अनुरोध किया है कि पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा को यहां से चुनाव लड़ाया जाये क्यों वो लोध-किसान पिछड़े वर्ग से है।

  • इसलिए उनके चुनाव लड़ने से पार्टी में और दम आ जायेगा।
  • बाकी अंतिम फैसला हाईकमान का है।
  • उन्होंन साफ शब्दों में कह दिया था कि अगर सपा-बसपा गठबंधन में सीट सपा के खाते में आती है।
  • तो पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा ही चुनाव लड़ेगें।
  • उन्होंने गठबंधन पर कहा कि सपा का उम्मीदवार जहां चुनाव लड़ेगा वहां तो मेहनत करनी ही है।
  • साथ जहां भी गठबंधन उम्मीदवार चुनाव लडे़गा वहां भी समाजवादी उसी जोर से चुनाव में साथ देगा।
जानिए क्या है पीलीभीत जनपद का राजनैतिक समीकरण

संजय गांधी की मौत के बाद गांधी परिवार से अलग हुई मेनका ने 1989 में जनता दल के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा और जीता। लेकिन दो साल बाद हुए चुनाव में ही बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की। उसके बाद 1996 से 2004 तक मेनका गांधी ने लगातार चार बार यहां से चुनाव जीता, इनमें दो बार निर्दलीय और 2004 में बीजेपी के टिकट से चुनाव में जीत हासिल की थी।

2014 के चुनाव के अनुसार इस सीट पर 16 लाख से अधिक वोटर
  • 2009 में मेनका गांधी ने अपने बेटे वरुण गांधी के लिए ये सीट छोड़ी और वरुण यहां से सांसद चुने गए।
  • लेकिन 2014 में एक बार फिर वह यहां वापस आईं और छठीं बार यहां से सांसद चुनी गईं।
  • पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में हिंदू वोटरों के साथ-साथ मुस्लिम वोटरों का भी खास प्रभाव है।
  • पीलीभीत जिले में करीब 30 फीसदी मुस्लिम नागरिक हैं, ऐसे में मुस्लिम वोटों को अनदेखा ठीक नहीं होगा।
  • 2014 के चुनाव के अनुसार इस सीट पर 16 लाख से अधिक वोटर हैं।
  • जिनमें 9 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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