उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में उठे तूफ़ान को लेकर सभी लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, साथ ही कई लोगों को मानना है कि, इस झगड़े से समाजवादी पार्टी और मुख्यमंत्री अखिलेश की छवि को काफी नुक्सान हो गया है। हालाँकि, ये पूरी तरह से सही नहीं है, इस झगड़े सीएम की छवि को किसी प्रकार का कोई नुक्सान नहीं हुआ है। बल्कि, सीएम अखिलेश द्वारा अपने फैसलों पर अडिग रहने के चलते उनके कद को सूबे और देश की राजनीति में बड़ा कर दिया है।

अपराधियों को टिकट बर्दाश्त नहीं:

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से ही कई मौकों पर ये दिखाया है कि, वो मजबूत फैसले लेने में सक्षम हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश ने यही रवैया पार्टी में अपराधियों को टिकट देने की प्रथा के खिलाफ भी बनाये रखा।

जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी को शायद अपने सबसे बुरे दौर से भी गुजरना पड़ रहा है, लेकिन सीएम अखिलेश की यही दृढ़ता उन्हें राजनीति के शिकार तक पहुंचा सकती है।

जनता के सामने अच्छा उदाहरण:

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के फैसलों के खिलाफ खड़े होने, तत्काल प्रभाव से कार्रवाई, इसके साथ ही करीब 200 से ज्यादा विधायकों के साथ ने सूबे की जनता के सामने मुख्यमंत्री अखिलेश की छवि का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है।

इस पूरे प्रकरण के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश सूबे की जनता के सामने एक सशक्त राजनीतिज्ञ के रूप में उभर कर आये हैं। हालाँकि, पारिवारिक झगड़े में समाजवादी पार्टी की छवि को गहरा नुक्सान पहुँचा है। लेकिन अंत में झगड़े का यही निष्कर्ष निकला है कि, पार्टी में “टीपू ही सुल्तान है”।

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