सपा-रालोद गठबंधन की संभावनाओं से मचा सियासी घमासान!
Rupesh Rawat
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन की कोशिशें तेजी से जारी हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और कैबिनेट मंत्री एवं सपा प्रदेश प्रभारी शिवपाल सिंह जहां अजीत सिंह के लोकदल से गठबंधन की पुरजोर कोशिशें कर रहें हैं। वहीं, अलीगढ़ में इस गठबंधन की संभावनाओं ने कई सपा और रालोद नेताओं को बेचैन कर दिया है।
मालूम हो कि इस समय अलीगढ़ की सात विधानसभा सीटों में से चार समाजवादी पार्टी के कब्जे में हैं और तीन सीटों से रालोद के विधायक हैं।
अगर गठबंधन की कोशिशें सफल होती हैं तो सपा मौजूदा चार सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए उन तीन सीटों को छोड़ सकती हैं जिस पर रालोद का कब्जा है।
सूत्रों की माने तो गठबंधन के बाद सपा इन तीन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम वापस ले सकती है।
रालोद संग गठबंधन की खबरों से सपा के उन तीन प्रत्याशियों के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं जिन्हें सपा ने अगले चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।
अलीगढ़ में सपा के बरौली विधानसभा प्रत्याशी सुभाष लोधी, खैर विधानसभा से प्रत्याशी प्रशांत वाल्मीकि और इग्लास से कन्हैया लाल दिवाकर की सीट खतरे में बतायी जा रही है।
इन तीनों ही सीटों पर रालोद का कब्जा है ऐसे में रालोद इन सीटों पर अपने ही उम्मीदवारों को उतारना चाहेगी।
अलीगढ़ की बरौली विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी सुभाष लोधी का कहना है कि टिकट के बारे में पार्टी जो भी फैसला करेगी, वह मान्य होगा। लेकिन वे चुनाव जरूर लड़ेगे।
सपा उम्मीदवार का कहना है कि बरौली विधानसभा के दोनों पूर्व मंत्रियों जयवीर सिंह और दलवीर सिंह से जनता का भरोसा टूट चुका है, और उन्होने क्षेत्र की जनता के बीच मजबूत पकड़ बनायी है।
इस वक्त बरौली से रालोद के नेता दलवीर सिंह विधायक हैं, और रालोद ने उन्हें दोबारा से मैदान में उतारने का मन बनाया हुआ है।
सपा और रालोद के गठबंधन को लेकर कई नेता आशंकित हैं, और उन्हें अपना राजनीतिक गणित बिगड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि दबे जुबान सपा का एक खेमा नहीं चाहता की प्रदेश में पार्टी गठबंधन कर चुनाव लड़े।