2019 के लोकसभा चुनावों की समाजवादी पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिया सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संगठन में बदलाव करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही अब समाजवादी पार्टी की सदस्यता लेने वालों के लिए लिए अब नये नियम बना दिए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बनाये गये नियम भी कुछ ऐसे हैं जिसके बाद किसी भी नये नेता के लिए पार्टी में किसी पद पर आना आसान नहीं होगा। 2019 के पहले अखिलेश ने ये नियम बनाकर काफी जोखिम वाला काम किया है।

अखिलेश कर रहे 2019 की तैयारी :

समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के लगातार 2 चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां बड़ी समझदारी से करना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव ने यूपी के जिलों का दौरा कर पदाधिकारियों से मिलना शुरू कर दिया है साथ ही अखिलेश यादव ने दूसरे दलों से आये नेताओं को पार्टी में शामिल कराना भी शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि 2019 में समाजवादी पार्टी ही भाजपा को टक्कर देगी। यही कारण है कि उपचुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ख़ास ध्यान दे रहे हैं।

अखिलेश ने बनाये नियम :

समाजवादी पार्टी की जिला और महानगर कार्यकारिणी में अब हर किसी को आसानी से पद नहीं हासिल हो सकेगा। जिला और महानगर अध्यक्ष भी अपने चहेतों को संगठन में नहीं रख पायेंगे। 2019 चुनाव को देखते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने काफी कड़े नियम बनाएं हैं। सपा को खबर मिली है कि पिछले चुनावों में अनेक पदाधिकारी और सदस्यों की भूमिका न के बराबर रही थे। वे लोग पार्टी की मासिक बैठकों में भी भाग नहीं लेते हैं।

यही कारण है कि अखिलेश ने कार्यकारिणी में पद हासिल करने वाले के लिए नियम बनाये हैं। जो पार्टी में पद चाहता हो, वो संगठन का सक्रिय सदस्य हो। उसके निवास स्थान पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत मिली हो। इसके अलावा उस पर कोई गंभीर मुकदमा न हो। मतदाता सूची में उसके द्वारा कितने वोट बढ़ाए और कितने कटवाए, इसका भी प्रमाण देना होगा। इन सभी का सबूत देने वाले को ही सपा में नेता माना जायेगा।

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