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चुनाव प्रबंधन सीखने के लिए भेज रहे अमेरिका, क्या टूटने लगा है ज़मीन से जुड़ाव?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए अब एक साल से भी कम का समय बचा हुआ है। प्रदेश की समाजवादी सरकार 2017 के विधानसभा में अपनी सफलता निश्चित करने के लिए अपने युवा नेताओं के एक दल को संयुक्त राज्य अमेरिका भेजेगी, जहाँ दल वर्तमान समय में चल रहे राष्ट्रपति चुनावों से कैम्पेनिंग करने का तरीका सीखेगा। यह कार्यक्रम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्रोन, ओहियो में आयोजित होगा।

3 महीने का होगा दौरा:

प्रदेश की समाजवादी सरकार का एक दल तीन महीने के दौरे पर अमेरिका जायेगा, जहाँ वो अंतराष्ट्रीय अभियान फेलो(आईसीएफ) के कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों की कैम्पेनिंग से सीख ले कर उसे प्रदेश के 2017 के चुनावों में इस्तेमाल करेंगे। दल 14 अगस्त से 14 नवम्बर तक अमेरिका में रहेगा। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के 11 युवा नेताओं कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चुना गया है। ये दल कार्यक्रम के साफ्ताहिक 3 घंटों के पाठ्यक्रमों के आधार पर ये शहर से शहर जायेंगे, और ये देखेंगे कि अमेरिकी चुनावों में किस तरह जनता से संवाद स्थापित किया जाता है। पार्टी के 11 युवा नेताओं ने कहा कि, “मुख्यमंत्री जी ने हमें प्रतिभा को विकसित करने और दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी चुनावों में से एक से सीखने, उत्तोलन और इस अनुभव से लाभ लेने का मंच दिया है, जिससे पार्टी की ‘युवा सोच, युवा जोश’ को फायदा पहुंचेगा”। गौरतलब है कि, समाजवादी सरकार ने दिग्गज लोकतान्त्रिक पार्टी सलाहकार गेराल्ड.जे.ऑस्टिन जो 4 दशकों से अमेरिका में चुनाव कैम्पेनिंग कर रहे हैं, उनसे पिछले साल नवम्बर में लखनऊ में मुलाक़ात भी करी थी।

क्या टूट रहा है ‘जमीन से जुड़ाव’:

समाजवादी सरकार प्रदेश के आगामी चुनावों में सफलता के लिए अपने युवा नेताओं के एक दल को अमेरिका में चुनावी कैम्पेनिंग सीखने के लिए तीन महीने के दौरे पर भेज रही है। बहुत ही आश्चर्य की बात है की जिस पार्टी को सूबे की सबसे ज्यादा जमीनी पार्टी होने का दर्ज़ा मिला है वो अपने सिद्धांतों को बदल रहे है। ऐसा भी कहा जाता है कि, ‘सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव हेलीकाप्टर से नीचे देखकर ये बता सकते थे की वो कौन सा गाँव है’। जो यह बताता है की नेताजी अपनी ज़मीन के प्रति कितने समर्पित हैं। सपा प्रमुख और लोहिया जी ने जिस तरह जमीन से जुड़े रहते हुए इस पार्टी को इस ऊंचाई तक पहुँचाया है। ऐसे में उम्मीद कर सकते हैं की पार्टी का अपनी जमीन से जुड़ाव टूट न रहा हो।

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