ओडीएफ गांवों को निरीक्षण करने के लिए प्रत्येक ब्लाकों में गैर सरकारी वाहनों की की व्यवस्था की गई है। संविदा पर रखी गई गाड़ियों का 27000 हजार प्रति माह भुगतान किया जाता है। आरटीआई एक्टिविस्ट इरशाद अली ने सभी ब्लॉकों में इस योजना में लगी गाड़ियों का डिटेल मांगा। जिसमें कुछ ब्लॉकों से मिली सूचनाओं में सारा मामला खुलकर सामने आया। कोन ब्लॉक में चल रही एक बोलेरो गाड़ी का प्रतिमाह रू 27000 का भुगतान किया जा रहा है। पर वास्तव में इस गाड़ी के लिए जो नंबर दर्शाया गया है वह एक टू व्हीलर स्कूटर का है।
मामले की जानकारी मिलने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने इसकी शिकायत कमिश्नर से की। जिस को संज्ञान में लेते हुए कमिश्नर ने शिकायत पत्र को डीएम के पास जांच के लिए भेज दिया।

दोषी के खिलाफ रिकवरी के साथ होगी कार्रवाई

इस मामले में प्रभारी जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ब्लॉक ऊपर दो गाड़ियों को संविदा पर लगाया गया है। जिसमें स्वामित्व को लेकर और गाड़ी नंबर को लेकर शिकायत आई है जिसकी जांच कराई जाएगी और इसमें दोषी पाए गए लोगों पर कार्रवाई करके रिकवरी भी की जाएगी।

अधिकारियों के नाक के नीचे हो रहा घोटाला

भारत के प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन में अधिकारियों के नाक के नीचे चल रहे इस घोटाले से साफ हो जाता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी है। जांच के नाम पर आगे क्या कार्रवाई होती है और कितने लोगों की मिलीभगत सामने आती है यह कहना अभी मुश्किल होगा। बता दें कि कोन ब्लॉक में चल रही एक बोलेरो गाड़ी का प्रतिमाह रू 27000 का भुगतान किया जा रहा है। पर वास्तव में इस गाड़ी के लिए जो नंबर दर्शाया गया है वह एक टू व्हीलर स्कूटर का है।

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