बिजनौर-नटकुर स्थित आर्यकुल कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च में रविवार को शोध एवं विकास विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर विश्वविख्यात वैज्ञानिक एवं सी.एस.आई.आर.- आई.आई.टी.आर. एवं सी.एस.आई.आर.- सी.डी.आर.आई. के निदेशक डॉ. आलोक धवन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ. आलोक धवन, कालेज के चैयरमैन के.जी.सिंह व कालेज के प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। इस सेमिनार में छात्रों को संबोधित करते हुए विश्वविख्यात वैज्ञानिक डॉ.धवन ने कहा कि किसी भी चीज को जानने के लिए शोध बहुत आवश्यक है और शोध हम उन्हीं चीजों पर करते हैं जो हमारे आस-पास ही हैं। उन्होंने छात्रों को समझाते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति शोध के मामले में छोटा या बड़ा नहीं होता एक उदाहरण बताते हुए उन्होंने बच्चों को बताया कि गुजरात में बीएससी के ऐसे बच्चों को देखा है जो कि विज्ञान में अच्छा ज्ञान रखते हैं।

उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत शोध हम अपने ही आस-पास की चीजों पर करते हैं। जिनको हम जानते तो हैं वह वास्तविक विज्ञान के रूप में उनका क्या प्रयोग है इसकी ही जानकारी के लिए शोध आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होनें कहा कि शोध के लिए हमें अपना नजरिया बदलना होता है। आज के दौर में शोध के बिना कोई विज्ञान की शिक्षा देने वाला संस्थान अधूरा ही है। आज के दौर में हम कम्प्यूटर पर आधारित हो गये हैं पर आज भी शोध पुरानी ही चीजों पर हो रहा है।

इसलिए शोध के लिए जरूरी है कि हम अपने दिमाग का प्रयोग करें कि ऐसा क्यों हो रहा है तभी उस शोध के निष्कर्ष पर पहुंच पायेंगे। उन्होंने एक नयी बात बताते हुए कहा कि कला भी एक विज्ञान है जिसपर बहुत कम लोग ही ध्यान देते हैं उदाहरण के तौर पर हमारे घर का खाना जो रोज अच्छे स्वाद वाला ही बनता है इस कला में भी एक विज्ञान ही छिपा है। जिसे समझने की जरूरत है। शोध करते समय हमें किसी भी सिद्धांत को समझना बहुत आवश्यक है क्योंकि जब हम किसी भी सिद्धांत को नहीं समझेंगे तो उनके विज्ञान को नहीं समझेंगे।

इसलिए शोध में सिद्धांत का बहुत अधिक महत्व है। बच्चों को आकर्षित करते हुए उन्होंने बताया कि जीवन में प्रश्न का बहुत अधिक महत्व है हमारा मष्तिस्क भी प्रश्न के आकार का ही होता है इसलिए अगर विज्ञान की किसी भी चीज को पूरा जानना है तो प्रश्न जरूर ही पूछें। तभी हमको उनके बारे में पूरी जानकारी हो सकेगी।

सेमिनार में कालेज के प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे कालेज का सौभाग्य हैं कि डा.धवन जैसे वैज्ञानिक यहां आये और बच्चों को विज्ञान के शोध के बारे में संपूर्ण जानकारी दी साथ ही बच्चों को शोध के लिए एक नयी सोच से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी कड़ी में कार्यक्रम से संयोजक एवं कालेज के शोध निदेशक डा. रविकान्त ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आज बच्चे को शोध के क्षेत्र में आगे रहना चाहिए और रिसर्च पेपर भी लिखना चाहिए।

इसके बाद आर्यकुल फार्मा कालेज के प्राचार्य प्रो. (डा.) दुर्गेश मणि त्रिपाठी व दीप्ति मणि त्रिपाठी की पुस्तक पेटेन्ट लाॅ इन इंडियन फार्मा मार्केट का विमोचन डाॅ.धवन द्वारा किया गया। डॉ. त्रिपाठी ने पुस्तक के बारे में बताया कि फार्मा पेटेन्ट के क्षेत्र अपने आप में यह पहली पुस्तक है जिसमें इस क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी है। फार्मा मार्केट के क्षेत्र के लिए यह पुस्तक एक वरदान साबित होगी। अन्त में कालेज के रजिस्ट्रार सुदेश तिवारी ने कहा कि शोध के बिना विज्ञान अधूरा है इसलिए शोध विषय जानकारी के लिए बहुत उपयोगी है।

अतिथियों में मुख्य रूप से नर्वदेश्वर ग्रुप आफ इस्टीट्यूशन के चैयरमैन प्रो. नरेन्द्र मणि त्रिपाठी, डॉ. संदीप तिवारी, प्रो. ओ.पी. तिवारी, डॉ. मृदुल शुक्ला, श्रेयांश मंडलोई की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम की संचालिका एच.आर.प्रमुख नेहा वर्मा ने आये सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया।

सेमिनार में मुख्य रूप से आर्यकुल एजुकेशन विभाग की अध्यक्ष अंकिता अग्रवाल के साथ फार्मा विभाग के अध्यक्ष डा. आदित्य सिंह, डा. संजय यादव, डा. नवनीत बत्रा, संचालिका मिश्रा, डा. शशांक तिवारी, डा. रोहित मोहन, डा.स्तुति वर्मा, स्वाती सिंह, शिवभद्रा सिंह आदि के साथ हर्ष नरायण सिंह, रोहित वर्मा, अंकुर तिवारी, नरेन्द्र प्रताप सिंह एवं कालेज के समस्त स्टाफ इस सेमिनार में उपस्थित रहे।

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