आज प्रदेश के मुखिया सहित कई भाजपा दिग्गज नेता आगरा में हैं. इतना ही नहीं खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जिले के दौरे पर हैं. जहाँ सीएम योगी और शाह मिल कर लोकसभा चुनावों की तैयारी की रणनीति तैयार कर रहे हैं. लेकिन इस बैठक के दौरान आगरा जिले के हालातों और भाजपा द्वारा जिले में शुरू की गयी परियोजनाओं की सुध लेना भी जरुरी है.

अधर में लटकी परियोजनाएं:

भाजपा सरकार ने आगरा को कई परियोजनाएं दी. लेकिन इस परियोजनाओं को सरकार के 1 साल पूरे होने के बाद भी अब तक आधा तो दूर शुरुआती ढांचा भी नहीं दिया जा सका हैं. जिन उद्देश्यों को केंद्र में रख अमित शाह और सीएम योगी संग दर्जनों नेता और पदाधिकारी बैठक कर रहे हैं, इन परियोजनाओं के पूरा होने से उन्हें भाजपा के लिए हासिल करना और सरल हो सकता है.

सरकार की कई योजनायें अब तक जिले में अधर में हैं. ये अब तक कागजों से बाहर नहीं आ सकी हैं. इन परियोजनाओं में आगरा बैराज से लेकर मेट्रो योजना, इंटरनेशनल स्टेडियम सहित कई परियोजनाएं हैं.

अमित शाह संग आगरा पहुंचे सीएम योगी और डिप्टी सीएम

आगरा बैराज

सात मई 2017 को आगरा आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कछपुरा और प्रस्तावित आगरा बैराज स्थल का निरीक्षण किया था। उन्होंने तब कहा था कि तीन महीने के अंदर बैराज निर्माण शुरू हो जाएगा, लेकिन अब एक वर्ष बीत गया है।

अभी तक बैराज की डीपीआर तक स्वीकृत नहीं हो पाई है। हो रही हैं तो बस कागजी बातें. वहीं परियोजना शुरू होने का कोई नामोंनिशान नहीं है लेकिन नेता बस इसे अपना नाम देने की होड़ में लगे हैं.

सिविल एन्क्लेव:

दुनिया भर में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आगरा में सिविल एन्क्लेव का निर्माण कार्य अखिलेश यादव की सरकार में शुरू हुआ था। अखिलेश सरकार में आधा काम हुआ और बंद हो गया। वहीं जब योगी सरकार सत्ता में आई, तो उन्होंने इस परियोजना में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरी कराकर जल्द काम शुरू करने का दावा किया था. लेकिन अभी तक जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। बाउंड्रीवाल तक नहीं बनी है।

इंटरनेशनल स्टेडियम:

आगरा के लोगों को दो चीजों का शहर में बेसब्री से इंतज़ार है, एक तो इंटरनेशनल एयरपोर्ट और दूसरा इंटरनेशनल स्टेडियम। लेकिन जहाँ इंटरनेशनल एयरपोर्ट सिविल एन्क्लेव की वजह से अभी तक अधुरा है वहीं इंटरनेशनल स्टेडियम की सुध सरकार को है ही नहीं. जिले में स्टेडियम बनने से सूबे कि खेल प्रतिभाओं को मौका मिलेगा, साथ ही रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

गंगाजल परियोजना:

आगरा में जलापूर्ति के लिए गंगाजल की परियोजना 2007 से चल रही है. करीब 2000 करोड़ रुपये अब तक इस परियोजना में खर्च भी हो चुके हैं, लेकिन अभी तक पानी नहीं मिला है.

वहीं सीएम योगी जब-जब आगरा आए, उन्होंने कहा कि पानी की समस्या नहीं होने देंगे. गंगाजल कम पड़ा तो चंबल से पानी लाएंगे, लेकिन अभी तक गंगाजल भी नहीं मिल सका है.

मेट्रो रेल परियोजना:

यूपी में मेट्रो को हर जिले में पहुँचाया जा रहा है. आगरा जिले में भी मेट्रो रेल चलाने की योजना का खाका 2007 से खींचा जा रहा है, लेकिन अखिलेश सरकार में इस योजना पर थोड़ा बहुत काम हुआ था।

इसके लिए डीपीआर बनी लेकिन उसके बाद मामला लटक गया है। योगी सरकार के आने के बाद एक बार फिर प्रक्रिया शुरू हुई। डीपीआर में नए नियमों के तहत संशोधन हुआ. लेकिन अब डीपीआर केंद्र की भाजपा सरकार के अंतर्गत है जिसपर अब तक फैसला नहीं हो सका है.

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट:

पर्यटन स्थल आगरा में दुनियाभर से लोग ताज को देखने आते हैं लेकिन यहाँ की गंदगी भारत की अच्छी चीजों से ज्यादा बुरी चीजों को प्रदर्शित करती हैं. कूड़े के निस्तारण के लिए करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद गंदगी साफ नहीं हो पाती।

इस बाबत प्रयास किया जा रहा है कि कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट स्थापित हो जाएगा। इस प्लांट के बनने के प्रतिदिन करीब 1500 मीट्रिक टन कूड़ा ठिकाने लग जाएगा।

आगरा में प्रतिदिन करीब 800 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है। शेष कूड़ा आसपास के शहरों से लिया जाएगा, जिससे उन शहरों कोे भी साफ रखने में मदद मिलेगी, लेकिन यह प्लांट केवल पर्यावरण की एनओसी के लिए अटका है।

पर्यटन विकास:

ताज नगरी आगरा दुनिया में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. यहाँ पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मंत्री, नेता और अधिकारी बड़ी बड़ी बाते करते हैं. लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी योजना नहीं बनी जो पर्यटकों को आगरा में मात्र एक रात रुकने के लिए भी प्रोत्साहित कर सके.

दूर दूर से पर्यटक आते हैं, ताजमहल और किला देखकर लौट जाते हैं. न तो इससे पर्यटन उद्योंग, न आगरा और न हीं वहां के व्यापारियों को कोई ज्यादा फायदा मिल पाता है.

स्मार्ट सिटी योजना:

प्रधानमंत्री की स्मार्ट सिटी योजना के तहत आगरा का चयन 2016 में हुआ था, लेकिन दो साल बीतने के बावजूद अब तक शहर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

योजना में अभी तो टेंडर का दौर चल रहा है। महज एक काम शुरू हुआ है। करीब 272 करोड़ रुपये की योजनाएं भी अधर में है। केवल कागजी खानापूर्ति चल रही है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ:

आगरा के अधिवक्ता कई वर्षों से खंडपीठ की मांग कर रहे हैं। जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की सिफारिश के आधार पर आगरा में खंडपीठ की स्थापना की जानी चाहिए, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों के तरह योगी सरकार भी इस मामले में अब तक खामोश बैठी है.

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