चेन खींचकर चोरी को अंजाम देते थे लुटेरे.

आम तौर पर लोग पुलिस या जीआरपी के कामकाज के तरीकों को लेकर संतुष्ट नहीं रहते. यही वजह है की
लोग चोरी की घटनाओं की शिकायत तो ज़रूर दर्ज कराते है मगर सामान मिलने की ज़्यादा उम्मीद भी नहीं
रखते. बात अगर ट्रेन में हुई चोरी की हो तो कई लोग शिकायत भी दर्ज नहीं कराते.
गर्रा नदी पुल पर दिया जाता था चोरी को अंजाम:
पिछले कुछ दिनों से ऐसी ही ट्रेन चोरी की घटनाओं को गर्रा नदी पुल के बीच ट्रेन पुलिंग करके
अंजाम दी जा रही थी. 13 जुलाई को जब ट्रेन नं. 12231 लखनऊ- चंडीगढ़ एक्सप्रेस और 14 जुलाई को ट्रेन
नं. 14265 जनता एक्सप्रेस यहाँ से गुजरी तब चेन खींचकर ट्रेन के अलग-अलग डब्बों में चोरी को
अंजाम दिया गया. चोर खिड़की में हाथ डालकर ही सामन खींच लिया करते थे और विरोध करने पर रेल लाइन
के किनारे पड़े पत्थरों से हमला करते थे. चोरी की दोनों ही वारदातें रात के समय हुई थी. ट्रेन में हुई इन
घटनाओं के बाद जीआरपी ने अपराधियों को पकड़ने के लिए मुकदमा दर्ज किया.

जीआरपी ने दिखाई तत्परता:

ट्रेन में हुई लूट को गंभीरता से लेते हुए विजय कुमार मौर्या (अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे उ.प्र.), विजय
प्रकाश (पुलिस महानिरीक्षक रेलवे उ.प्र.), सौमित्र यादव (पुलिस अधिक्षक रेलवे लखनऊ-अनुभाग), सुभाष चन्द्र
दूबे (पुलिस अधीक्षक मुरादाबाद-अनुभाग), कृष्णकांत शुक्ला (क्षेत्राधिकारी द्वितीय रेलवे अनुभाग लखनऊ) और
और डॉ. संतोष कुमार सिंह (क्षेत्राधिकारी मुरादाबाद) ने घटना स्थल का निरीक्षण किया. इसके साथ ही कृष्णकांत
शुक्ला को लखनऊ और संतोष कुमार सिंह को बरेली कैंप करते हुए पर्यवेक्षण के लिए लगाया गया.
चोरों को पकड़ने के लिए सर्विलांस टीम जीआरपी अनुभाग लखनऊ और अनुभाग का भी सहयोग लिया गया.

आख़िरकार कोशिश रंग लाई:

इस घटना में कृष्णकांत शुक्ला के नेतृत्त्व में एक टीम गठित की गई. जीआरपी की कोशिशें रंग लाई और 22
जुलाई को मुखबिर की सूचना पर इस टीम ने चोरों को गर्रा नदी के पुल के किनारे पगडंडी रास्ते पर लुटे गए
सामान का आपस में बंटवारा करते हुए धर दबोचा. जीआरपी ने दोनों ट्रेनों में लूटी गया माल बरामद करके
चार शातिर लुटेरों को जेल भेज दिया है. पुलिस अधीक्षक रेलवे अनुभाग लखनऊ ने सभी टीमों को 20,000
रुपये का नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है.

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