बाल मजदूरी एक अपराध है और अपराधों पर रोकथाम के लिए पुलिस है  लेकिन,यदि पुलिस ही इस अपराध को बढ़ावा देने लगे तो भला कैसे इस अपराध को रोका जा सकेगा। ताज़ा वाक्या  शामली पुलिस थाने का है जहाँ खुद पुलिस वाले ही बच्चे से पोछा लगवाते देखे गए। अब  ऐसे में इन पर  क्या कार्यवाही होनी चाहिए ये अब सरकार  को ही तय करना होगा।

मुस्कुराते रहे कोतवाल साहब पोछा लगाता  रहा मासूम

  • बचपन, इंसान की जिंदगी का सबसे हसीन पल, न किसी बात की चिंता और न ही कोई जिम्मेदारी।
  • मगर सभी का बचपन ऐसा हो यह जरूरी नहीं। इसका एक उदाहरण समीर है।
  • मामला जनपद शामली की सदर कोतवाली का है जहाँ पर कोतवाल ने बाल श्रम कानून की जमकर धज्जिया उड़ाई।
  • थाना परिसर में ही पुलिस  कर्मियों ने नाबालिग  बच्चे समीर से गाड़ी पर पोचा लगवा दिया।
  •  जबकि 1986 के  चाइल्ड लेबर एक्ट के मुताबिक किसी भी 14 साल से काम उम्र के बच्चे से मजदूरी करना कानूनन जुर्म है।
  • जैसा की खुद हे शामली पुलिस कर रही है।
  • आज दुनिया भर में 215 मिलियन ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम है और वो बाल मजदूरी कर रहे है।
  • इन्हे बचाने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है।
  • लेकिन पुलिस की इस करतूत के बाद ये कहना मुश्किल होगा की इस पर रोकथाम संभव है।
  • दूसरों को कानून का पाठ पढ़ाने वालों ने खुद ही कानूनों को ताक पर रख नाबालिग से काम करवाया।
  • हालांकि शामली में ये वाक्या पहला नहीं है।
  • इससे पहले भी शामली के कोतवाल साहब पर नाबालिग की पिटाई के आरोप लग चुके हैं।
  • कोतवाल साहब खुद कुर्सी पर बैठे अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ ठहाके लगाते रहे और नाबालिग पोचा लगाता रहा।
  • कोतवाल साहब पर इसके बाद भी  यदि आला अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं तो फिर ऐसे अपराधों पैर रोकथाम संभव नहीं होगी।
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