यूपी की राजधानी लखनऊ सहित अन्य शहरों में बढ़े प्रदूषण के स्तर के बाद हरकत में आई राज्य सरकार के निर्देशों पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट को जलाने से रोकने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देशित किए जाने पर ऐतराज जताते हुए राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि सरकार को ऐसा कोई भी निर्देश देने से पूर्व किसानों की हालत व परेशानियों पर भी गौर कर लेना चाहिए था।

प्रदूषण का ठीकरा किसान के सिर फोड़ने की साजिश

  • उनका कहना था कि शहरों में हर प्रकार की सुविधाओं को जुटाने के प्रयासों के चलते बढ़ रहे प्रदूषण का ठीकरा किसान के सिर फोड़ने की साजिश की जा रही है।
  • शहरों के प्रदूषण के लिए उस किसान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो देश भर के लोगों के लिए अन्न उगाता है।
  • उनका कहना था कि अगर सरकार को लगता है कि ग्रामीण कृषि अपशिष्ट भी प्रदूषण के बढने के कारकों में कुछ थोडा बहुत योगदान कर रहा है तो फिर उसके लिए व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • किसानों को कृषि अपशिष्टों को नष्ट करने के लिए यंत्र उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
  • भले ही सरकार इन यंत्रों को किराए पर अथवा सामूहिक प्रयोग के लिए उपलब्ध कराए।
  • दीक्षित ने कहा कि ऐसे दौर में जब किसान के लिए खेती की लागत निकालना और अपना पेट पालना दूभर हो रहा हो उस समय में इस प्रकार का कोई भी तुगलकी फरमान उसकी कमर तोड़ देगा।
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