देश के तमाम थानों में कई ऐसे बलात्कार के मुकदमें दर्ज हैं जिनमें कोई कार्यवाई नहीं हो पायी है. पीड़िता न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होती है लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है. रसूखदारों की ऐसी धमक है कि पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद भी पुलिस कोई गिरफ़्तारी करने से बचना चाहती है. अपराधियों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी पुलिस की है लेकिन बलात्कार जैसे मामलों में पीड़िता को न्याय के लिए 8 साल से इंतजार हो तो मामले की गंभीरता समझी जा सकती है.

बलात्कार के बाद एसिड अटैक का हुई थी शिकार:

  • यूपी में एक महिला को कुछ दरिंदों द्वारा पहले हवस का शिकार बनाया गया.
  • बलात्कार के बाद महिला की पहचान मिटाने के लिए एसिड से जलाया गया.
  • मामले को अंजाम देने वाले आरोपी बड़ी ही आसानी से ज़मानत पर रिहा हो गए हैं.
  • आरोपी अपने दबदबे के कारण पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.
  • वहीँ पीड़िता का आरोप है कि मामले को जबरन रफा-दफा करने के लिए उस पर दबाव बनाया जाता रहा है.
  • यह मामला लखनऊ स्थित शेरोस हैंगआउट्स में काम करने वाली कमला( बदला हुआ नाम) का है.
  • छाँव फाउंडेशन के अंतर्गत काम करने वाली यह संस्था उन महिलाओं को सहारा देती है, जो अपना आत्मविश्वास खो चुकी हैं.
  • शेरोस हैंगआउट् में स्पीड पोस्ट द्वारा चिट्ठियाँ भेज डरा-धमका रहे हैं.
  • चिट्ठी में लिखा गया है कि पीड़िता को अपनी कंपनी से निकाल दो, नही तो पैसे वापस करवा दो, अगर ऐसा नहीं किया गया तो पीड़िता के शरीर में खून की जगह एसिड बहेगा.

पुलिस के लचर रवैये को पीड़िता ने बताया मुख्य कारण:

  • बलात्कार के बाद लगातार जान से मारने की धमकी मिलने के बाद भी सुरक्षा प्रदान नहीं की गई.
  • लखनऊ पुलिस के संज्ञान में मामला आया तो मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
  • लेकिन अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
  • पुलिस जाँच जारी होने की बात कर अपना पल्ला झाड़ती नजर आई है.
  • रेप पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसपर जबरन मामला वापस लेने और सुलह करने का दबाव बनाया जाता रहा है.
  • पीड़िता का कहना है कि आये दिन किसी अधिकारी या पुलिस थाने से फ़ोन आता है और पीड़िता को मिलने के लिए कहा जाता है.
  • पीड़िता ने आरोप लगाया कि जहाँ वो किराये के मकान में रहती है वहां भी कई बार कॉल आ चुकी है.
  • रेप पीड़िता मकान मालिक को भी धमकी दी गई और उन्हें थाने में हाजिर होने के लिए बार-बार कहा गया.

मानवाधिकार आयोग और SC/ST महिला विभाग ने भी नहीं की मदद:

  • पीड़िता का आरोप है कि SC/ST महिला विभाग के नाम पर उसको कई दफे कॉल आई.
  • पीड़िता से ऑफिस आकर मिलने के लिए कहा गया.
  • पीड़िता के इंकार के बाद उसके परिजनों को धमकाया गया.
  • पीड़िता ने दोबारा कॉल आने पर ये आग्रह किया कि उसके परिजनों को और रिश्तेदारों को धमकाया ना जाये.
  • साथ ही पीड़िता ने पुलिस के दोहरे रवैये पर भी सवाल उठाये हैं.
  • इस पीड़िता का कहना है कि पुलिस उन रसूखदार अपराधियों के साथ मिलकर केस को दबाना चाहती है.
  • साथ ही अनगिनत ऐसे कॉल पीड़िता को आते हैं, जो बेवजह परेशान करते हैं.
  • इस मामले में रायबरेली पुलिस की कार्यप्रणाली पर महिला ने सीधे पर सवाल उठाये.
  • मामला जब लखनऊ पुलिस के संज्ञान में आया तब इस मामले पर FIR की गई.
  • लेकिन अभी भी इस मामले में गिरफ़्तारी ना हो पाना पीड़िता के लिए परेशानी बना हुआ है.
  • इस पीड़ित महिला का कहना है कि पुलिस द्वारा कार्यवाही ना करने के कारण ही अपराधी आये दिन धमकी देते रहते हैं.

 

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