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शिवपाल का अखिलेश पर तंज: ‘कुछ लोगों को बिना मेहनत ही सबकुछ मिला’

Shivpal yadav commented on Akhilesh yadav efforts

Shivpal yadav commented on Akhilesh yadav efforts

शिवपाल सिंह यादव आज लखनऊ के संगीत नाट्य अकेडमी में श्री कृष्ण वाहिनी द्वारा आयोजित राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन में में शामिल होने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने रावण और कंस के जरिये सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला बोला. वहीं अपने और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते के बारे में भी कई पुरानी बातें सांझा की.

मुकुट पहना कर हुआ स्वागत:

समाजवादी पार्टी से छोड़ कर अपना राजनीतिक दल बनाने वाले शिव पाल यादव समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन के बाद आज राजधानी लखनऊ में पहली बार किसी कार्यक्रम में शामिल हुए हैं.

शिवपाल यादव श्री कृष्ण वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने लखनऊ के संगीत नाट्य अकेडमी पहुंचे हैं,  जहाँ उनका स्वागत मुकुट पहना कर किया गया.

‘चाचा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ 

कार्यक्रम में कई पूर्व मंत्री और समाजवादी सेकुलर मोर्चा के कार्यकर्ता भारी संख्या में मौजूद रहे. शिवपाल सिंह यादव के कार्यक्रम में पहुँचने पर “चाचा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं.” के नारे लगना शुरु हो गये.

वहीं शिवपाल सिंह ने मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रावण लंका में राज करता था, ज्ञानी था फिर भी असत्य पर चलता था. लेकिन भगवान् राम सत्य के साथ धर्म पर चलने वाले थे.

उन्होंने कहा कि सीता माता का अपहरण हुआ लेकिन जो सत्य पर चलते हैं हमेशा उनकी विजय होती है. रावण खोखला था, लंका भी खोखली थी।

शिवपाल यादव ने कंस का भी उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी कंस पैदा होते हैं.  हमारे यहाँ भांजे और बहन को कितना पवित्र माना जाता है, लेकिन कंस ने बहन, बहनोई को जेल में डाल दिया था.

शिवपाल का संबोधन:

लेकिन जब धर्म को कोई नष्ट करने की कोशिश करता है तो क्या फल होता है,

रावण मारा गया, कंश मारा गया।

पिछड़े समाज को न्याय मिले, सनज में परिवर्तन हो, समाज स्वास्थ्य हो दिमाग भी स्वस्थ्य हो

कभी कभी लोग का दिमाग असंतुलित हो जाता है।

वो कहते हैं सत्ता पाये कोय माध आये मत.

सत्ता पाकर कभी अभिमान नहीं आना चाहिए,

मैंने तो कभी कोई पद नहीं मांगा

नेता जी के साथ तमाम उतार चढाव आये

मेरा नौकरी में अपॉइंटमेंट हो गया था

लेकिन आना तो था राजनीति में।

मैं बहुत छोटा था, तब तो साईकिल में पैर भी नही आते थे,

नेता जी की चिट्ठी बांटता था

साइकिल मिल जाती थी तो लगता था बहुत बड़ी गाडी मिल गयी

उस समय बेईमानी नहीं थी

लेकिन आज अगर पहले ही दिन पद न मिले

तब तो साईकिल चला कर ही चुनाव लड़ा है।

पूरे पूरे इलेक्शन में 6-6 महीने साइकिल चलाया है।

जब स्कूल में पढ़ते थे 2 जोड़ी कपड़े ही मिलते थे।

मैंने तो संघर्ष देखा है, फिर भी कभी पद नही माँगा.

अगर मुझे 80 में टिकट मिल जाता तो तभी MLA बन जाता.

लेकिन टिकट मिला 96 में,

लेकिन कुछ लोगों को बिना मेहनत ही सबकुछ मिल जाता है।

समय ऐसा आया कि हम कुछ कर नहीं सकते थे.

कुछ लोग थे जो गलत काम करवाना चाहता था,

लेकिन मुझे करना नहीं था गलत काम,

लेकिन जो दरवाजे पर आता है उसे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए.

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