पूर्व सीएम अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल यादव अब सपा से आर-पार के मूड पर उतर आए हैं। अपनी नयी पार्टी के जिलाध्यक्षों और मंडल प्रभारियों की पहली बैठक में उन्होंने जहां समाजवादियों से अपने साथ आने की अपील की वहीं जिलाध्यक्षों को 30 नवंबर तक बूथों पर पहुंचने को कहा। इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ अपने सपा छोड़ने के कारण पर भी बातें की।

परिवार बचाने के लिए सहा अपमान :

पार्टी कार्यकर्ताओं से शिवपाल यादव ने कहा कि वह चाहते थे कि पार्टी और परिवार में कोई बिखराव न हो इसलिए लगातार अपमान और तिरस्कार बर्दाश्त किया। उन्होंने कहा कि जब सारी सीमाएं खत्म हो गईं और लगा कि सपा का नेतृत्व करने वालों को समाजवाद व पार्टी के मूल सिद्धांतों में भरोसा नहीं है और स्वार्थी तत्व हावी हो गए हैं तो मजबूरी में दुखी मन से नया रास्ता चुनने का फैसला किया।

शिवपाल की पार्टी की इस बैठक में 9 दिसंबर को लखनऊ में पार्टी की बड़ी रैली करने का फैसला हुआ। इस पर शिवपाल यादव ने कहा कि रैली में जुटने वाले समाजवादी साथी सही और गलत का फैसला कर देंगे।

सुनायी संघर्ष के दिनों की कहानी :

राजधानी लखनऊ के 6, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित बैठक में शिवपाल ने कहा कि सपा में समाजवादियों की लगातार उपेक्षा से ऐसा राजनीतिक परिदृश्य बन रहा था जिसमें नई पार्टी बनाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। प्रगतिशील सपा नौजवानों, किसानों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के लिए काम करेगी। इस दौरान शिवपाल यादव ने अपने संघर्ष के दिनों की कहानियां सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह उनके कई साल सड़कों पर संघर्ष में बीते।

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