समाजवादी पार्टी के सबसे कद्दावर नेताओं में एक और इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट सीट से विधायक शिवपाल सिंह यादव ने सपा से अलग राह पर चलने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने प्रगतिशील सपा बनाने के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का भी ऐलान किया है। इतना कुछ होने के बाद भी शिवपाल यादव ने न तो अब तक सपा से इस्तीफा दिया है और न ही अखिलेश यादव ने उन्हें निष्कासित किया है। सपा के तमाम नेता उनके इस कदम पर चुप्पी साधे हुए हैं।

इस्तीफा न देने के पीछे है खास रणनीति :

समाजवादी पार्टी से अलग होकर नयी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव ने अब तक पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इसके अलावा शिवपाल के मुद्दे पर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी खुल कर बोलने से बच रहे हैं। अखिलेश से जब शिवपाल से जुड़ा प्रश्न किया गया तो उन्होंने सवाल दूसरे मुद्दों की तरफ मोड़ दिया।

सियासी जानकार मानते हैं कि ​शिवपाल सिंह यादव खुद को शहीद की उपाधि देने की कोशिश में हैं।वे सपा कार्यकर्ताओं और जनता के बीच दिखाना चाहते हैं कि वह पार्टी में रहना चाहते थे लेकिन डेढ़ साल से कोई पद न मिलने के बाद उन्होंने ये कदम उठाया है। ऐसे में उन्हें जनता की सहानुभूती के साथ ही सपा कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल सकता है।

सपा नेताओं ने साधी चुप्पी :

शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा बनाने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी पूरी तरह से चुप है। पार्टी नेताओं के माथे पर परेशानी की लकीरें भी साफ देखी जा सकती हैं। बातों-बातों में उन्हें लोकसभा चुनाव में शिवपाल फैक्टर चुनौती बनता भी दिख रहा है। अगर सपा उन्हें निष्कासित करती है तो कार्यकर्ताओं के बीच शिवपाल के समर्थन में संदेश जाएगा जो अखिलेश यादव बिल्कुल नहीं चाहते हैं।

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