रेलवे के 164 साल के सफर के बाद भी रेल यात्रियों की सुरक्षा एक गंभीर विषय बना हुआ है (railway passengers chases train) कि रेल यात्रियों की मौत का जिम्‍मेदार कौन है…? ट्रेन पकड़ने में जल्‍दबाजी, ट्रेन के मेन गेट पर खड़े होकर सफर करना जैसी तमाम हरकतों से हर साल हजारों यात्रियों की मौत होती है। इसके बावजूद रेल यात्री जीवन की आपा-धापी में जिंदगी को हथेली पर लेकर घूम रहे हैं। आज uttarpradesh.org के छायाकार सूरज कुमार आपको लखनऊ के चारबाग रेलवे स्‍टेशन पर रेल यात्रियों की कुछ ऐसी ही तस्‍वीरें दिखाने जा रहे हैं…।

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रोजाना देखने को मिलती हैं (railway passengers chases train) ये तस्वीरें :

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  • भारत के बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों में यह तस्वीर रोजाना देखी जा सकती है।
  • कभी बड़े शहरों में लोकल ट्रेन में आपा-धापी, भीड़-भाड़ के कारण ट्रेन से गिरने की खबर आती है।
  • तो कभी प्लेटफार्म से ट्रेन में चढ़ने के दौर कुछ लोगों के गिरकर मौत हो जाने की खबर आती है।
  • मगर रेलवे के आलाधिकारी और कर्मचारी की कुंभकर्णी नीद ऐसी कि इन हादसों के बाद भी कभी जानही टूटती है।
  • आलम ये है कि हर हादसे के बाद रेलवे के लोग आम जनता की तरह मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते हैं।

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मध्य प्रदेश के दमोह की घटना  :

  • पिछले सप्ताह 24 मई को तड़के सुबह मध्य प्रदेश के दमोह की वो घटना तो याद ही होगी।
  • जहां महिला ट्रेन से गिकर दम तोड़ दी थी और उसका दो साल का बच्चा उससे लिपटकर दूध पी रहा था।
  • पुलिस की प्रारंभिक जांच-पड़ताल से सामने आया कि संभवत: महिला किसी ट्रेन से उतरने के चक्कर में गिरी होगी।

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कौन लेगा हादसों की जिम्मेदारी :

  • रोजाना दिखने वाला यह नजारा आम बात है और कई बार बड़ी घटनाएं भी घट चुकी हैं।
  • इसके बावजूद आज भी लोग जान हथेली पर रखकर ट्रेन में चढ़ने और यात्रा करने को विवश हैं।
  • ऐसे में बड़ा सवाल ये कि रोजाना होने वाले हादसों की जिम्मेदारी कौन लेगा।

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