शनिवार की सुबह एप्पल जैसे प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की नृशंस हत्या ने पूरे जनमानस को झंकझोर कर रख दिया है| विवेक तिवारी की हत्या से ज्यादा ख़तरनाक उत्तर प्रदेश पुलिस का हत्या पर पर्दा डालने का प्रयास और एक हत्यारे का अभूतपूर्व एवं अप्रत्याशित समर्थन है|

 

अब जब शोर-शराबे के बाद पूरे मामले की जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंप दिया गया है तो उससे पहले यह जांच लेना ज़रूरी है कि आखिर उस रात को क्या हुआ| फिर उसके बाद हम आपको बताएँगे कि कैसे तथ्यों से छेड़छाड़ हुई है|

 

घटनाक्रम की शुरुआत

शुक्रवार की रात में एप्पल कम्पनी की तरफ़ से नए मोबाईल के लांच के उपलक्ष्य में कम्पनी में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक पार्टी रखी गयी थी| चूँकि विवेक तिवारी एप्पल के एरिया मैनेजर थे तो स्वाभाविक है कि अन्य कर्मचारियों की तरह वो भी पार्टी में शरीक़ होने गए थे| रात लगभग 1 या 1:30 बजे पार्टी के ख़त्म होने के बाद वो घर की तरफ़ निकले| सहकर्मी सना खान ने विवेक से आग्रह किया कि वो उन्हें भी घर तक छोड़ दे क्योंकि रात हो चुकी है| जैसा कि अमूमन होता है, ठीक वैसे ही विवेक तिवारी ने सहकर्मी को अपनी एसयूवी में बैठा लिया|

 

विवेक तिवारी ने पत्नी को भी इस बात की जानकारी दी कि उनके साथ सना खान है और वो उसको विभूतिखंड स्थित उसके घर छोड़कर आ रहे हैं|  अभी उनकी गाड़ी गोमतीनगर के मकदमपुर पुलिस चौकी के पास पहुंची ही थी कि दो सिपाही संदीप कुमार और प्रशांत चौधरी ठीक उनके गाड़ी के सामने आकर रुकवाने लगे| सुनसान इलाके में कोई भी गाड़ी नहीं रोकेगा, ठीक वही विवेक  तिवारी ने किया| बस इसी बात पर प्रशांत चौधरी ने विवेक तिवारी के माथे को निशाना बनाकर अपनी सर्विस पिस्टल से गोली चला दी|

देर से पहुंची मदद

गोली लगने के बाद विवेक तिवारी की गाड़ी कुछ सौ मीटर दूर अंडरपास के पिलर से टकरा गयी| पास बैठी सना ने उतरकर मदद माँगने की कोशिश की लेकिन काफी देर तक उसे कोई मदद नहीं मिली| यहाँ तक कि उसने वहां से गुज़र रहे ट्रक वालों से भी मदद की गुहार लगायी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ| जिन दो पुलिसकर्मियों में से एक ने गोली चलायी थी, वो अपने साथी को लेकर मौक़े से फ़रार हो गया|

 

काफ़ी देर(चश्मदीद के अनुसार लगभग 20 से 25 मिनट) बाद एक दूसरी पुलिस पैट्रोलिंग की गाड़ी मौके पर पहुंची| विवेक तिवारी की तुरंत मदद की जगह लोहिया अस्पताल के एम्बुलेंस का इन्तज़ार किया गया| जब सना ने उन पुलिस वालों से पुलिस वैन में ही विवेक को अस्पताल पहुँचाने की गुहार लगायी तब कहीं पुलिस कर्मियों ने विवेक को अपनी गाड़ी से अस्पताल ले जाने के लिए हामी भरी|

 

इलाज में देर के साथ पुलिस ने विवेक तिवारी को बचाने का प्रयास नहीं किया

सना के अनुसार जब पुलिस विवेक तिवारी को लोहिया अस्पताल लेकर पहुंची तो अस्पताल के डॉक्टर ने साफ़ बोला कि इन्हें तुरंत पीजीआई ले जाइये| लेकिन पुलिस ने डॉक्टर की बात को अनसुना करके उनपर इलाज़ का दबाव बनाया| सना के अनुसार विवेक तिवारी की साँसे तब तक चल रही थी लेकिन पुलिस के लापरवाह, गैरज़िम्मेदाराना और अप्रशासनिक रवैये के कारण विवेक तिवारी ने लोहिया अस्पताल में ही दम तोड़ दिया|

 

पुलिस ने पत्नी को नहीं दी जानकारी

पुलिस ने विवेक की पत्नी को घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी| विवेक की पत्नी लगातार विवेक के फ़ोन नंबर पर संपर्क करने का प्रयास करती रही लेकिन पुलिस ने फ़ोन उठाने की ज़हमत नहीं उठायी| इतना ही नहीं, जब लगातार फ़ोन आने लगे तो लोहिया के किसी अज्ञात कर्मचारी से फोन रिसीव करवाकर यह बताया गया कि विवेक तिवारी का एक्सीडेंट हुआ है और सर में हल्की सी चोट आयी है|

 

मामले को दबाती रही लखनऊ पुलिस

हत्या के बाद एसएसपी समेत कई अधिकारी मौके पर मुआयना करने पहुँच चुके थे लेकिन किसी ने भी मामले को मीडिया, परिवार या सरकार से साझा नहीं किया| कई घंटे के मुआयने के बाद विवेक तिवारी को अस्पताल में देखने भी कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुँचा|

 

झूठ पर झूठ बोलकर एसएसपी ने हद पार कर दी

हद तो तब हो गयी जब एसएसपी कलानिधि नैथानी ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए इस घटना की जानकारी देना शुरू की| पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसएसपी के हाव-भाव असहज थे| इतना ही नहीं, उन्होंने पूरी घटना को कहानीनुमा घूमना शुरू किया तो शक की सुई पुलिस की तरफ़ घूम गयी| बाकी एनकाउंटर को सजाकर, सँवारकर परोसने वाली यूपी पुलिस के एक बड़े अधिकारी जब घटना के बारे में मीडिया को बता रहे थे तो उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे थी|

 

पूरी घटना को तोड़-मरोड़कर एसएसपी ने मीडिया से कहा कि रात में पुलिस चेकिंग के दौरान उक्त दोनों सिपाहियों ने जब विवेक तिवारी को रुकने के लिए बोला तो विवेक तिवारी ने दोनों सिपाहियों को कुचने की कोशिश की| जिसके बाद प्रशांत चौधरी निचे गिर गया | उसको आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी|

एसएसपी और डीजपी के बयान के अनुसार आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था लेकिन वो तो शाम को गोमतीनगर थाने में पहुंचकर हंगामा करने लगा! बाक़ायदा सपत्नीक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करता रहा|

चश्मदीद को दो घंटे तक बिना महिला पुलिसकर्मी के साथ लखनऊ की सड़कों पर घूमाती रही पुलिस

हद तो तब हो गयी जब इतना कुछ होने के बाद भी संज्ञासुन्न यूपी पुलिस के आलाधिकारियों के इशारे पर चश्मदीद सना खान को पुलिस लखनऊ की सड़कों पर दो घंटे से ज्यादा समय तक घूमती रही| बिना महिला पुलिसकर्मी के सारे नियम-कानून को ताक़ पर रखकर लखनऊ पुलिस चश्मदीद पर दबाव बनती रही| सना के अनुसार उसे हर तरह से धमकाया गया| उसका फोन उससे छीन लिया गया और उसे किसी परिचित से बात नहीं करने दिया गया|

 

मृतक विवेक तिवारी के ससुर ने भी आरोप लगाया कि अगर मीडिया समय पर नहीं पहुँचती तो शायद चश्मदीद को यूपी पुलिस मार देती|

लगभग दो घंटे बाद चश्मदीद के विरोध पर उसे थाने लाया गया और एसएसपी के साथ अन्य अधिकारीयों ने धमकाकर सादे कागज़ पर हस्ताक्षर करवा लिए| एक सादे कागज़ पर बोल-बोल कर पुलिस ने अपना वर्ज़न लिखवाया और उसी के आधार पर एफआईआर फ़ाइल कर दी|

 

 

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस की नई कहानी

पहले तो  एसएसपी समेत आला अधिकारी इसे दुर्घटना बताते रहे| एसएसपी ने आधिकारिक बयान में यह बोला कि “कहीं से गोली चलने की आवाज़ आयी और गाड़ी पिलर से टकरा गयी|” गाड़ी पर गोली के निशान के सवाल पर पहले तो खुद को बचते रहे लेकिन अंत में बोले कि मौत कैसे हुई, यह जांच का विषय है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद साफ़ हो पाएगा|

 

 

कुछ ही घंटो बाद जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगने से मृत्यु की पुष्टि हो गयी तो पुलिस के कप्तान फिर से नयी कहानी लेकर मीडिया के सामने हाज़िर हो गए| जो कप्तान दुर्घटना से हुई मौत बता रहे थे वो अब बयान देने लगे कि विवेक तिवारी ने सिपाहियों को कुचलने का प्रयास किया और आत्मरक्षा में गोली चल गयी|

 

कानून मंत्री को कुछ नहीं पता

सबसे हैरत वाली बात यह थी कि जब हमारे रिपोर्टर ने कानून मंत्री बृजेश पाठक से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो कानून मंत्री को घटना की जानकारी ही नहीं थी!

पुलिस ने आरोपियों का मेडिकल नहीं कराया

इन सब घटनाक्रम के बीच आरोपियों का मेडिकल तक नहीं कराया गया| जिनपर आरोप था कि वो शायद नशे की हालत में थे, उनका मेडिकल कराने में पुलिस आनाकानी करती रही| नियमानुसार आरोपी का मेडिकल कराने के बजाय, पुलिस आरोपियों को साथ लेकर घूमती रही|

 

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने आरोपियों के नाटक में भरपूर साथ दिया| दोनों आरोपी स्ट्रेचर पर लदे हुए अस्पताल लाए गए और मेडिकल के बजाय उनके इलाज़ का दिखावा होता रहा|

 

6 लाइन की एफआईआर ने खोले राज

पुलिस की लीपापोती का राज़ तब और खुलकर बाहर आ गया जब हमें पुलिस द्वारा दर्ज 6 लाइन की एफआईआर की कॉपी मिल गयी| मनो बिना कानून और सरकार द्वारा नियंत्रित पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया में खुलकर मनमानी की|

 

 

सबसे अचंभित करने बाली बात यह थी कि एफआईआर में आरोपी और कारण दोनों अज्ञात थे|

 

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और एफआईआर की कॉपी मिलने के बाद पुलिस की कहानी से धीरे-धीरे पर्दा उठता चला गया|

 

पीड़ित परिवार को डीएम और एसएसपी द्वारा धमकाया गया

शाम होते-होते पुलिस और प्रशासन का और घिनौना चेहरा सामने आया| मृतक विवेक तिवारी की बेटी ने बयान दिया कि डीएम उन्हें आकर धमका रहे थे|

सना को किया गया नज़र बंद

जब हमारी टीम सना के घर पहुंची तो वहां पुलिस का कड़ा पहरा था| किसी से भी सना को मिलने नहीं दिया जा रहा था| सना और उनकी माँ के चेहरे पर डर साफ़ दिख रहा था| ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस चश्मदीद पर दबाव बनाकर आरोपियों को बचा रही है? क्या एसआईटी सही बयान लेने में सफल होगी?

 

जांच के अनुरोध में डीएम के पत्र में आरोपी और कारण दोनों अज्ञात

 

आनन-फ़ानन में डीएम लखनऊ ने जांच के लिए आदेश/अनुरोध पत्र जारी किया लेकिन सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपी और कारण दोनों अज्ञात हैं| ऐसे में एसआईटी जाँच पर सवाल उठना लाज़मी है|

विवेक तिवारी की गाड़ी में तोड़फोड़

सबसे अहम सबूत विवेक तिवारी की गाड़ी है| जिसकी हालत पल-पल बदलती हुई नज़र आयी| मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हुई विवेक तिवारी की गाड़ी की जब दो तस्वीरें हमारे चीफ़ फ़ोटो जर्नलिस्ट आशीष पांडेय ने खींची तो बहुत सारे सवाल एक साथ उठ खड़े हुए| इतने अहम सबूत से भी जब इस तरह छेड़छाड़ की जा रही है तो क्या एसआईटी सबूत को इकठ्ठा करने और सच्चाई सामने लाने में कामयाब हो पायेगी?

घटनास्थल पर विवेक तिवारी की गाड़ी के ऐयरबाग नहीं खुले हुए थे क्योंकि विवेक और सना ने सीट बेल्ट बाँध रखे थे| जब थाने में हमारी टीम ने गाड़ी को दुबारा देखा तो एयरबैग खुले हुए थे|

 

मीडिया से दूरी बनाते हुए नज़र आई एसआईटी

मीडिया द्वारा पर्दाफ़ाश होने के बाद पुलिस के साथ-साथ एसआईटी मीडिया से दूरी बनती हुई नज़र आयी| ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मीडिया से क्या छुपाने का प्रयास किया जा रहा है?

 

 

सीसीटीवी फुटेज ने खोले अहम राज़

पुलिस शुरू से कहानी सुनाने में जुटी रही कि विवेक तिवारी की गाड़ी खड़ी थी और लाइट बंद थी| ऐसे में जब सिपाही उनकी गाड़ी के पास पहुंचे तो उन्हें स्थिति संदिग्ध लगी| लेकिन जब हमारी टीम को सीसीटीवी फुटेज हाथ लगी तो पुलिस की यह कहानी बिलकुल झूठ साबित हुई| फुटेज में साफ़ दिख रहा है कि विवेक की गाड़ी बिलकुल भी नहीं रुकी और वह चल रही थी| अलबत्ता सिपाही मोटरसाइकिल पर रॉंग साइड से जाते हुए दिख रहे हैं|

आरोपियों के कपड़े अभी तक ज़ब्त नहीं हुए

मामले को लेकर एसआईटी कितनी गंभीर है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि विवेक की गाड़ी जैसे अहम सुराग से बैरिकेडिंग हटवाकर छेड़छाड़ की गयी| साथ ही साथ आरोपियों के कपड़े तक ज़ब्त नहीं हुए!

 

एसआईटी ने घटनास्थल से सबूत तो इकट्ठा किये लेकिन तब तक हज़ारों वाहन उसी सड़क से गुज़र चुके थे| ऐसे में जब सबूतों की जांच होगी तो वो कितने अहम होंगे यह तो वक़्त ही बताएगा|

 

एसआईटी ने कोरम पूरा करते हुए क्राइम सीन बिना गवाह के क्रिएट करने की कोशिश की लेकिन मीडिया के दबाव के बाद  गवाह सना का बयान दर्ज करने और गवाह के साथ सीन रीक्रिएट करने पहुंची|

अनुशासनहीन सिपाहियों का डीजीपी को चैलेन्ज

अनुशासनहीनता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि आरोपी सिपाही के साथी खुलेआम सोशल मीडिया पर डीजीपी और अन्य अधिकारीयों को चैलेन्ज करते हुए नज़र आए| कइयों ने तो इतनी अशोभनीय पोस्ट साझा की कि उसे यहाँ नहीं बताया जा सकता|

 

कई सिपाहियों के साथ कुछ अधिकारी भी आरोपी का पक्ष लेते हुए नज़र आएं| सोशल मीडिया पर बाकायदा अभियान चलाकर आरोपी की पत्नी के खाते में राशि जमा करवाई जा रही है| क्या एसआईटी इस खाते की भी जांच करेगी?

 

एनकाउंटर का श्रेय लेने की होड़, हत्या पर कोई ज़िम्मेदार नहीं

अक्सर एनकाउंटर का श्रेय सीओ से लगाए डीजीपी तक लेते हुए नज़र आते हैं लेकिन इस हत्या पर किसी की ज़िम्मेदारी तय नहीं हुई| एसएसपी और डीएम दिन भर कहानियाँ बनाते रहे, आरोपियों को बचते रहें, पीड़ितों को धमकाते रहे लेकिन कड़ी कार्यवाही की जाएगी जैसा बयान देने वाली सरकार की तरफ से न तो कार्यवाही हुई, न ही ज़िम्मेदारी तय हुई|

दो एफआईआर के साथ कानूनी दांव पेंच

विवेक तिवारी हत्याकांड में पुलिस ने दूसरी एफआईआर भी दर्ज कर ली है जो कि मृतक विवेक तिवारी की पत्नी ने लिखवाई है| इस एफआईआर में सना के बयान लिखे गए हैं लेकिन कानूनी दांव-पेंच में किसकी जीत, किसकी हार…यह तो वक़्त ही बताएगा|

अब आप ही तय कीजिये कि इसके बाद भी आपको एसआईटी की जांच पर कितना भरोसा है|

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