निजी स्कूल नए छात्रों से मनचाहा शुल्क वसूल सकेंगे। उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कानपुर रोड स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल में हुई बैठक में शहर के स्कूलों को यह बारीकियां समझाई। उन्होंने बताया कि शुल्क निर्धारण अध्यादेश-2018 नए छात्रों से फीस वसूली में लागू नहीं होता। परिचर्चा में राजधानी के प्रमुख आईसीएसई, CBSE और उत्तर प्रदेश बोर्ड के उन स्कूलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था जिनकी सालाना फीस 20,000 से ज्यादा है।

बैठक में राज्यमंत्री संदीप सिंह ने भी इस संबंध में यही बात कही। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यालय के पुराने छात्रों पर निशुल्क निर्धारण के नियम लागू रहेंगे। लेकिन अब कोई नया छात्र प्रवेश लेगा तो स्कूल प्रशासन अपने हिसाब से उसकी फीस तय कर सकता है। एक साल बाद उसकी फीस फिर अध्यादेश के मुताबिक तय होगी। साथ ही बढ़ती महंगाई दर का 5 फीसदी और छात्र से पहले सत्र में वसूली गई फीस से 7 से 8 फीसदी तक ही शुल्क में वृद्धि की जा सकेगी।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में अध्यादेश लागू करने से पहले कई राज्यों के शुल्क ढांचे का परीक्षण किया गया। विद्यालय में अभिभावकों के सुझाव मांगे गए। न्यायालय की बातों का भी ध्यान रखा गया। अध्यादेश के नियम इस तरह से लागू किए गए हैं जिससे विद्यालय से लेकर अभिभावक तक उस से सहमत रहें और दोनों के बीच किसी तरह का विवाद उत्पन्न ना हो। उन्होंने कहा कि अध्यादेश को लेकर सुझाव अभी भी आमंत्रित हैं। यदि सुझाव सकारात्मक होंगे तो उन पर विचार किया जाएगा।

वेबसाइट पर ब्यौरा दर्ज करना होगा जरुरी

उपमुख्यमंत्री ने अध्यादेश पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के 7 दिन पहले स्कूलों को अपनी फीस का विवरण वेबसाइट पर सार्वजनिक करना होगा। कॉलेज प्रतिनिधियों की तरफ से अध्यादेश को लेकर ज्यादा सवाल नहीं किए गए। हालांकि उन्होंने इस बात पर संशय जताया कि महंगाई दर का आकलन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आने के बाद होगा। जबकि प्रवेश प्रक्रिया अक्टूबर माह से शुरू हो जाती है। ऐसे में शुल्क बढ़ोतरी करना उनके लिए आसान नहीं होगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल, सचिव माध्यमिक शिक्षा संध्या तिवारी, विशेष सचिव बी चंद्रकला, शिक्षा निदेशक साहब सिंह निरंजन, JD सुरेंद्र कुमार तिवारी, डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे।

कक्षा एक लेकिन फीस अलग-अलग होगी

एक ही कक्षा में नए और पुराने छात्रों से अलग-अलग फीस लेने से स्कूल शुल्क ढांचा बिगड़ सकता है। किसी विद्यालय की किसी एक कक्षा में यदि कोई नया छात्र प्रवेश लेगा तो विद्यालय मनचाही फीस बढ़ोतरी वसूली कर सकता है। जबकि पुराने छात्र से अध्यादेश के तहत फीस वसूली जाएगी। इससे एक ही कक्षा में नए और पुराने छात्रों से फील फीस के बीच अंतर दिखेगा।

अध्यादेश में ये हैं खास बातें

➡शुल्क निर्धारण अध्यादेश वर्तमान सत्र से ही प्रभावी माना जाएगा।
➡यह उन सभी निजी विद्यालयों पर लागू होगा जिनकी सालाना फीस 20,000 रुपये से ज्यादा है।
➡विद्यालय में पढ़ने वाला वाले कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों की फीस में इस अध्यादेश के अंतर्गत बढ़ोतरी की जाएगी।
➡प्री स्कूल के बच्चों की फीस को अध्यादेश से बाहर रखा गया है। कक्षा 1 से 12 तक में किसी विद्यालय में नया प्रवेश लेने वाले छात्र पर 1 साल तक अध्यादेश के नियम लागू नहीं होंगे।
➡स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते।
➡एक कक्षा से एक ही स्कूल में कक्षा 12वीं तक एक ही बार एडमिशन फीस ली जाएगी।
➡कोई भी स्कूल सिर्फ 4 तरह से ही शुल्क ले सकेंगे, जिसमें विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क शामिल हैं।
➡वैकल्पिक सुविधा जैसे वाहन, हॉस्टल, भ्रमण, कैंटीन की सुविधा लेता है तभी शुल्क देना होगा।
➡हर तरह के शुल्क की रसीद देना स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा।
➡कोई भी स्कूल अपने बच्चों की ड्रेस में 5 वर्ष तक बदलाव नहीं कर सकेगा।
➡ड्रेस, जूते, मोजे, कॉपी-किताब खरीदने के लिए विद्यालय अपने परिसर या फिर निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेंगे।
➡कमेटी में स्थाई और आमंत्रित सदस्य हैं, जिनमें निजी स्कूल प्रतिनिधि तथा अभिभावक शामिल हैं, इनकी सदस्यता को अवधि 2 वर्ष तक है।
➡अध्यादेश के नियमों का पहली बार उल्लंघन करने पर विद्यालय पर 1,00,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5,00,000 और तीसरी बार उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता खत्म कर दी जाएगी।

shulk nirdharan adhyadesh 2018

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