वरिष्ठ समाज सेवी नरेंद्र नाथ श्रीवास्तव ‘भइयाजी’ (Rajendra Nath Srivastava) का लंबी बीमारी के बाद हृदय गति और सांस रुकने से गुरुवार की रात सिविल अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने जैसे ही अंतिम सांस ली उसके चंद मिनटों में नरही ही नहीं पूरे शहर में उनके निधन की खबर फैल गई। भइया जी के निधन के बारे में जिसने भी सुना वह गमजदा हो गया। समाजसेवियों सहित नेताओं का भी उनके घर पर तांता लगा हुआ है।

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समाजसेवा के लिए जीवन भर नहीं की शादी

  • जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ समाज सेवी ‘भइयाजी‘ का जन्म 16 नवम्बर 1930 को हुआ था।
  • भइयाजी 1935 से नरही में रह रहे थे। 1995 से पहले 30 साल से अधिक समय तक नरही के पार्षद रहे।
  • भइयाजी के प्रयास से ही चिड़ियाघर का नाम प्रिंस ऑफ वेल्स जूलॉजिकल पार्क से बदल कर लखनऊ प्राणी उद्यान हुआ।

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  • जिसे अब नवाब वाजिद अली शाह जूलोजिकल गार्डेन नाम से जाना जाता है।
  • सप्रू मार्ग पर ब्रिटिश ग्रेवयार्ड की जमीन पर कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए मदर टेरेसा होम शुरू होना भी भइयाजी की ही देन है।
  • इतना ही नहीं उन्होंन अपनी 60 एकड़ जमीन भी मिशनरीज ऑफ चैरिटी को दे दी थी।
  • सिविल अस्पताल का वर्तमान स्वरूप भी उन्हीं की देन है।

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  • 14 सितम्बर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
  • बीमारी के बाद (Rajendra Nath Srivastava) उन्होंने देहदान का संकल्प ले लिया था।
  • बीमारी के बावजूद वह अस्पताल में रहकर इलाज नहीं करवाना चाहते थे।
  • इसी के चलते सिविल से पहले उन्हें लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाने के दौरान घर लौट आए थे।
  • भइया जी ने अपनी शादी तक नहीं की थी।
  • उन्होंने अपना सारा जीवन समाज सेवा में लगा दिया। (Rajendra Nath Srivastava)

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