समाजवादी पार्टी में कलह ऊपरी तौर से भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन अभी अंदरूनी कलह का अंत नहीं हुआ है। चुनाव आयोग की सहमति के बाद अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह पर पूरा हक मिल गया है। वहीं मुलायम और शिवपाल खेमा खाली हाथ रह गया है। इस बात की कसक शिवपाल यादव में अब भी कहीं ना कहीं बाकी है।

शरीर से सपा के साथ लेकिन मन से दूर हुए शिवपाल

  • शिवपाल यादव को जसवंत नगर विधानसभा की सीट से टिकट तो मिल गया है,
  • लेकिन वह पार्टी में घटते अपने कद से बेहद आहत है।
  • अपने ही भतीजे अखिलेश यादव के द्वारा पार्टी में साइड लाइन किये जाने के बाद,
  • शिवपाल यादव अपनी अलग रणनीति बना रहे हैं।
  • वह कहने को तो समाजवादी पार्टी में हैं, लेकिन उनकी आत्म शायद अब सपा के साथ नहीं रहीं।
  • फिलहाल शिवपाल यादव अकेले ही अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं।
  • क्योंकि अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी स्टार प्रचारकों की लिस्ट से भी दूर रखा है।

सपा मे चुनाव बना अपनों के खिलाफ धर्म युद्ध

  • शिवपाल यादव ने इस बार चुनाव को अपनों के खिलाफ धर्म युद्ध बता दिया है।
  • वह इटावा में गणतंत्र दिवस पर एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थें।
  • यहां उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि इस बार चुनाव सत्ता के लिए नहीं,
  • बल्कि अपनों के खिलाफ धर्म युद्ध है।
  • उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से साथ देने के लिए कहा।
  • इस बयान के बाद सीधे तौर पर यह स्पष्ट हो गया है,
  • अब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की राहें अलग हो चुकी है।
  • इन दोनों को मुलयाम सिंह के नाम की एक डोर ने बांध रखा हैं।
  • लेकिन चुनाव के बाद शायद यह भी टुट जाए।
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