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इटावा से ये प्रत्याशी लोकसभा के चुनाव में पार लगाएगा सपा की नैय्या

SP leader will cross Nayya of SP in Lok Sabha election from Etawah

SP leader will cross Nayya of SP in Lok Sabha election from Etawah

इटावा से ये प्रत्याशी लोकसभा के चुनाव में पार लगाएगा सपा की नैय्या

बसपा और सपा के गठबंधन के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा गुरुवार को हुआ। इटावा सीट सपा की झोली में आई है। गठबंधन से प्रत्याशी की जीत को लेकर दोनों दल आश्वस्त हैं। अन्य दल भी अपने आंकड़ों के लिहाज से जीत के दावे कर रहे हैं। बुधवार को सपा और बसपा के बीच सीटों की स्थिति स्पष्ट हुई। 37 सीटों पर सपा और 38 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। इटावा लोकसभा क्षेत्र की सीट सपा के पाले में आई है। हालांकि अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है। दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस सीट पर सपा प्रत्याशी की जीत हर हाल में होगी। हालांकि भाजपा, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, कांग्रेस दलों के कार्यकर्ताओं ने अपनी समीकरण बताते हुए अपने पार्टी के प्रत्याशियों की जीत की बात कही है।

आइये जाने क्या कहते है इस सीट पर इनके समीकरण

बसपा जिलाध्यक्ष इंद्रेश शाक्य ने बताया दावा किया कि सपा प्रत्याशी घोषित होने पर बसपा का वोटबैंक भी प्रत्याशी के साथ होगा और जीत दर्ज कराएगा। प्रदेश की सर्वाधिक सीटें बसपा व सपा के गठबंधन से जीत हासिल करेंगी।  सपा जिलाध्यक्ष रामलखन प्रजापति ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्षों ने मिलकर सीटों का बटवारा किया है। इटावा लोकसभा क्षेत्र सपा का क्षेत्र है।

जीत का सपना देख रहीं अन्य पार्टियों के सपने होंगे चकनाचूर

इटावा लोकसभा की सुरक्षित सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है। बगैर गठबंधन की नजर से देखें तो इस अंतर पाटना आसान नहीं था। लेकिन सपा और बसपा के मिले वोटों को मिलाकर गौर करें तो वोटों की संख्या 459504 पर पहुंचती है। यानी भाजपा प्रत्याशी को सपा-बसपा को संयुक्त रूप से मिले वोटों में करीब 20 हजार वोट कम मिले थे। मौजूदा गठबंधन इसी आंकड़े का आधार है।  ब्लाक प्रमुख सौरभ भूषण शर्मा ने बताया कि इटावा लोकसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी पूरी दमखम से चुनाव लड़ेगा। केंद्र व राज्य सरकार की नीतियां और प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की लोकपिीयता भाजपा प्रत्याशी को जिताने का काम करेगी।

जाने क्या कहते है इटावा के जातीय समीकरण

अब गठबंधन प्रत्याशी से मुकाबला होने पर जातीय एवं राजनीतिक समीकरण बदलने के पूरे आसार हैं। 2014 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा प्रत्याशी अशोक दोहरे को जितने वोट मिले हैं। उनकी संख्या सपा व बसपा को मिले वोटों से कम है। हालांकि इस बार चुनाव में शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग हैं और जिले में उनकी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जीत का सेहरा गठबंधन, प्रसपा व कांग्रेस के सिर बंधेगा या फिर भाजपा अपनी जीत दोहराएगी। समूचे राजनीतिक परिदृश्य में चुनौती सिर्फ भाजपा के लिए है।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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