लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन की मांग को लेकर अनशन पर बैठने वाली पूजा शुक्ला ने आज प्रेस वार्ता करते हुए लविवि द्वारा उनपर लागाये गये आरोपी को निराधार बताते हुए हर एक आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बताया कि साल 2015 में पोस्टर चस्पा कर गंदगी फैलाने संबंधित उनपर लगा आरोप गलत हैं. बता दें कि विवि में एडमिशन न दिए जाने के बाद पूजा शुक्ला धरने पर बैठ गयी थी. जिसके बाद 4 जुलाई को धरने पर बैठे छात्रों और शिक्षकों के बीच विवाद उग्र हो गया था और मारपीट की नौबत आ गयी थी. 

4 जुलाई को हुए लविवि बवाल में हुई थी गिरफ्तार:

आज लविवि के गेट संख्या एक पर पत्रकारों से वार्ता करने पहुंची समाजवादी पार्टी की छात्र नेता पूजा शुक्ला ने उनपर लगे आरोपी को सफाई देते हुए कहा कि 27 जुलाई 2015 को पोस्टर चस्पा कर गंदगी फैलाने संबंधित आरोप जो मुझ पर लगाए गए हैं, सब निराधार हैं.

उन्होंने बताया कि ये आयोग की सिफारिशों के खिलाफ है जिसमें छात्रों की राजनीतिक अभिव्यक्ति हेतु पर्चा,पोस्टर, वाल मैगजीन लगाने की आजादी है.

SP student leader Pooja Shukla charge allegation against LU VC

पूजा ने कहा कि विश्वविद्यालय इसके लिए हद से हद वॉल ऑफ डेमोक्रेसी घोषित कर जगह निर्धारित कर सकता है, जो कि कभी विश्वविद्यालय ने सार्वजनिक नहीं किया.

अपने ऊपर लगे आरोपों को बताया बेबुनियाद:

छात्र नेता ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा 2015 में अनुशासन पर 2017 में निलंबन की कोई भी नोटिस उन्हें प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि 26 सितम्बर 2015 को क्या घटना हुई, इसके बारे में उन्हें मालूम नहीं है.

उन्होंने 20 जुलाई 2017 को किसी भी गेट पर कोई ताला न लगाने की बात कहते हुए सवाल किया कि अगर इससे संबंधित कोई सीसीटीवी फुटेज हो तो विश्वविद्यालय जारी करें, वरना बेबुनियाद आरोप लगाकर सरकार, न्यायपालिका और मीडिया को गुमराह न करे.

पूजा शुक्ला ने लविवि के कुलपति पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रवेश का मुद्दा ही मुख्य मुद्दा है, जिस पर लगातार कुलपति पुलिस प्रशासन, न्यायपालिका और मीडिया को गुमराह कर रहे हैं. विश्वविद्यालय नियमों का गलत संदर्भ दे रहे हैं.

LU बवाल: अनशन पर बैठी पूजा शुक्ला की पुलिस हिरासत में तबियत बिगड़ी

उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने सत्र 2016-17 में एम.ए दर्शनशास्त्र में प्रवेश लिया था, लेकिन कुछ कारण से 2 दिन बाद उन्होंने अपना प्रवेश रद्द कराने के लिए विभाग में प्रार्थना पत्र दिया था. विश्वविद्यालय की ऑर्डिनेंस के पेज 14 नियम संख्या 15 के अंतर्गत यदि कोई छात्र क्लास शुरू होने के प्रथम 10 दिनों में कक्षाएं नहीं करता है तो उसका प्रवेश पत्र निरस्त माना जाएगा. इसके आधार पर उनके द्वारा प्रवेश रद्द करा दिया गया और इसी क्रम में मैंने एक भी कक्षा नहीं की.

पूजा शुक्ला ने लविवि के कुलपति पर लगाये संगीन आरोप:

इतना ही नहीं पूजा शुक्ला ने कुलपति पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि कुलपति ने आते ही कैलाश छात्रावास कांड के संगीन मुकदमों में नामजद छात्रों को प्रवेश दिया और उनका निष्कासन वापस लिया क्योंकि वह छात्र ABVP के थे.

उन्होंने बीते महीने अनशन करने को लेकर बताया कि वह 2 जुलाई 2018 को कुलानुशासक से मिलने पहुंची तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया और छात्रों से अभद्रता की और बोला जो करना है कर लो. जिसके बाद हमारे पास अपने भविष्य को बचाने के लिए भूख हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

वीसी एसपी सिंह की जिद्द बनी लविवि बवाल का कारण

पूजा ने बताया कि माधुरी सिंह और गौरव पांडे दोनों को ही मेरिट लिस्ट होने के बावजूद राजनीतिक द्वेष के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया. कुलपति द्वारा जारी निष्कासन व प्रवेश प्रबंधित की लिस्ट में भी उनका नाम नहीं है.

कुलपति ने एक छात्र संगठन द्वारा संग्रहित हजार शिकायतों पर अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया. अधिकतम शिकायतें आरोपी चीफ प्रॉक्टर चीफ पोस्ट पर हैं, इतनी शिकायतों के बावजूद उन पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई?

आकाश सक्सेना कुलपति से केवल बात करने गए थे, लेकिन कुलपति द्वारा संवाद ना करने पर गरीब छात्र आकाश सक्सेना अपने भविष्य को बचाने के लिए बातें करने के लिए वीसी की कार के सामने मजबूरन लेट गया. कुलपति ने उसे बात करने की जगह 307 जैसी गंभीर धाराएं लगाकर जेल भेज दिया.

LU बवाल: HC ने वीसी एसपी सिंह सहित प्रॉक्टर और एसएसपी को किया तलब

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें