जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश में जल्द ही स्पेशल कोर्ट गठित किया जाएगा। स्पेशल कोर्ट के गठन के लिए न्याय विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है। स्पेशल कोर्ट के गठन के लिए न्याय विभाग ने सक्रियता दिखाते हुए प्रस्ताव तैयार कर उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया है।

प्रस्ताव के मुताबिक, सांसदों/विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए यह स्पेशल कोर्ट इलाहाबाद में गठित किया जाएगा जिसका अधिकार क्षेत्र संपूर्ण उत्तर प्रदेश होगा। स्पेशल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी हायर ज्यूडीशियल सर्विसेज स्तर के न्यायिक अधिकारी होंगे। स्पेशल कोर्ट के लिए वैयक्तिक सहायक ग्रेड 2, वरिष्ठ सहायक, कनिष्ठ सहायक, लेखाकार व ड्राइवर के एक-एक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दो पद सृजित किए जाएंगे।

स्पेशल कोर्ट के गठन के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी न्याय विभाग को अपनी सिफारिश भेज दी है। वहीं केंद्र ने गठन के लिए राज्य सरकार को चालू के लिए 5.42 लाख रुपये और अगले वित्तीय वर्ष के लिए 59.58 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध करा दी है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक नवंबर और 14 दिसंबर को पारित आदेशों में निर्वाचित सांसदों/विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट गठित करने के लिए कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने सामने पेश की गई उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भरे गए नामांकन पत्रों के आधार पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 1581 आपराधिक मामले दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों की प्राथमिकता से सुनवाई करने के लिए राज्यों को स्पेशल कोर्ट गठित करने के लिए कहा था। केंद्र ने हाल ही में राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पेशल कोर्ट पहली मार्च 2018 तक क्रियाशील हो जाना है।

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