मेरठ में बेतहाशा बढ़ा अपराध अब मासूम बच्चों के जेहन पर असर कर रहा है. छेड़छाड़ और दबंगई से परेशान नवीं कक्षा की एक छात्रा आज अपने छोटे भाईयों के साथ मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी से मिलने पहुँची. स्कूल बैग्स के साथ एसएसपी के दरबार में बच्चों ने केवल एक ही फरियाद की. एसएसपी दीदी हमें बचाओ.

पिता बेबस और बिटिया परेशान

पीठ पर किताबों से भरे भारी बैग्स के साथ आज दोपहर बाद तीन बच्चे मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी के जनता दरबार में हाजिर हुए. इन बच्चों में एक 9वीं की छात्रा थी और बाकी उसके दो छोटे भाई. बच्ची ने आंखो में आंसू भरकर एसएसपी को अपनी आपबीती बतानी शुरू थी. बच्ची ने बताया कि शिवा नाम का एक गुंडा उसे स्कूल आते-जाते छेड़ता है, हाथापाई करता है. बच्ची ने बताया कि उसने अपने पिता को अपने साथ हो रही वारदात की जानकारी दी. पिता ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने पहल करके आरोपी के साथ पीड़ित परिवार से माफी-तलाफी कराके सुलह करा दी. आरोपी को शह देने की वजह से समझौता तो हो गया, लेकिन बच्ची का उत्पीड़न बंद नही हुआ.

आरोपी को पुलिस का संरक्षण

छात्रा इतनी परेशान थी कि कप्तान को आपबीती सुनाते-सुनाते उसकी आंखों के आंसू रूक नही रहे थे. छोटे भाई ने एसएसपी को यह भी बताया कि अब तो शिवा और उसके साथी केवल छेड़छाड़ ही नहीं करते बल्कि भाईयों को कभी भी थप्पड़ मार देते है. बहन को गालियां देते है और घर में पत्थर भी फैंकते है. एसएसपी ने बच्चों की फरियाद सुनकर थानेदार को कार्रवाई के आदेश दिये है. छात्रा और उसके दो छोटे भाईयों ने एसएसपी के दरवाजे तक पहुँचने के लिए अपनी जेबखर्च के पैसे इकठ्ठे किये और राहगीरों से रास्ता पूछकर यहाँ तक पहुँचे.

कहाँ गया ट्री-रोमियो स्क्वायड ?

मासूम बच्चे एसएसपी के दरबार में पहुँचे और एसएसपी मंजिल ने उनकी शिकायत सुनी मगर एक सवाल बाकी है. सवाल यह कि थानेदार ने सुलह के बजाय आरोपी पर कार्रवाई क्यों नही की? दूसरा सवाल उस एंट्री-रोमियो स्क्वायड की गैर हाजिरी का है जो अब स्कूलों के आसपास दिखाई नही देते.
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