पिछले दिनों अमेटी जिले में एक किशोरी की गैंगरेप के बाद जहर खिलाकर हुई हत्या के मामले को uttarpradesh.org ने यहां ‘महापुरुषों की धरती पर है अपराधियों का बोलबाला!’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें संगीन अपराधों आये दिन हो रही हत्याओं, बलात्कारों, चोरी और लूट की घटनाओं में लगातार वृद्धि की पोल खोली गई थी। संगीन अपराधों को रोक पाने में फिसड्डी पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते पुलिस के आलाधिकारियों ने अपनी नाक बचाने के लिए दरोगा पीएन सिंह चौहान व मुंशी उमेश यादव को निलम्बित कर दिया।

किशोरी हुई थी बलात्कार का शिकार

  • अभी हाल ही में अमेठी के पीपरपुर थाना क्षेत्र के नगरडीह गांव में खेत की सिंचाई करने गयी 14 वर्षीय बालिका के साथ गांव के तीन लोगों ने बलात्कार किया था।
  • पोल खुल जाने की वजह से जहर खिला दिया था।
  • तबियत बिगड़ने पर बालिका को जिला अस्पताल भर्ती कराया गया जहां किशोरी की मौत हो गयी थी।
  • मजिस्ट्रेट के बयान में बालिका ने मौत से पहले अपने गांव के ही तीन व्यक्तियों पर बलात्कार के बाद जहर खिलाने का बात कही थी।
  • वहीं मृतका के परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामला दर्ज करने में टाल मटोल करती रही क्यों कि आरोपी लोग रसूखदार घराने से सम्बन्ध रखते हैं।
  • सूत्रों की मानें तो 17 दिसम्बर को दारोगा पीएन सिंह अवकाश पर थे 19 दिसम्बर को 21:30 बजे इलाज के लिए लखनऊ की रवानगी कराया और साथ ही दारोगा ने अपने हस्ताक्षर पर भी सवालिया निशान लगाया है।
  • ऐसे में वाह वाही लूटने को लेकर पुलिस अधिकारियों की ये कार्यवाही भी विवादों के घेरे में आ गयी है।
  • पुलिस के बड़े अधिकारी एसओ के खिलाफ कारवाई से आखिर क्यों बच रहे है यह एक बड़ा सवाल बनकर सामने आया है?
  • पुलिस की कार्यशैली की बात की जाए तो बड़ी घटनाओं में संबंधित थाना प्रभारी पर अधिकारियों की निगाह टेढी होती है।
  • पीपरपुर काण्ड मामले में बिल्कुल उलट हुआ, थानाध्यक्ष रहे भरत उपाध्याय को बचा लिया गया जबकि दरोगा और मुंशी पर गाज गिर गई।
  • पुलिस अभी तक सर्फ विभागीय तिकड़मबाजी तथा ठीकरा फोड़ने में लगी है।
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