नेताजी सुभाष चंद्र बोस महान स्वतंत्रता सेनानी थे, आज उनकी जयंती है। उनकी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाइक, विधायक ब्रजेश पाठक, महापौर संयुक्ता भाटिया सहित तमाम भाजपा नेता और पदाधिकारियों ने परिवर्तन चौक स्थित सुभाष चौराहे पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। नेता जी सुभाषचंद्र बोस की 122वीं जयंती पर पहला मौक़ा है जब यहां, मेयर, मंत्री, CM सब एक साथ आए और उन्हें नमन किया।

पूरे देश में सुभाषचंद्र बोस को नमन किया जा रहा है। सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सीएम योगी ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस भारत के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में याद किये जाते रहेंगे। सुभाषचंद्र बोस ने कहा था देश की स्वाधीनता भीख मांगने से नहीं मिल जाती। भारत ज़मीन का केवल टुकड़ा नहीं है, ये जीवंतता और क्रांति की प्रतिभूति है। देश के क्रांतिकारियों के शौर्य बलिदान, वीरांगनाओं के बलिदान से आज़ादी मिली। भारत की स्वाधीनता सुभाष चंद्र बोस का लक्ष्य था। सिंगापुर में उनका स्मारक बना हुआ है। उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए विश्व की बड़ी ताकतों को साथ लिया आज़ाद हिंद फौज से ब्रिटिश हुकूमत कांप गई थी। उनका नारा उस समय के नौजवानों के लिए मंत्र बन गया था। उन्होंने नारा दिया था तुम “मुझे खून दो मैं, तुम्हे आज़ादी दूंगा” अपनी स्वाधीनता बनाए रखने के लिए सुभाषचंद्र बोस की बातें आज भी आवश्यक हैं।

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इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस को यूपी की 22 करोड़ जनता की तरफ से नमन। उन्होंने कहा कि आज हम सब के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती उन्हें स्मरण करने का मौका देती है। कहा जाता था कि अंग्रेजों के राज्य में सूर्य हमेशा कहीं न कहीं दिखता रहता है ऐसे सूर्य को चुनौती सुभाषचंद्र बोस ने दी थी। अंग्रेज़ी हुकूमत में नौकरी ज्वाइन नहीं की, आज़ादी की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। उस वक़्त एक ही मंच था वो था कांग्रेस। सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस के कई पदों पर काम किया, फिर दूसरा सशत्र संग्राम शुरू किया। लोगों को संगठित करना कठिन, उन्होंने देश के बाहर भी लोगों को संगठित किया। उनके पास अद्भुत संगठन शक्ति थी। उनकी सेना में महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा। सुभाषचंद्र बोस ने उस वक़्त नारा दिया “चलो दिल्ली”।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा….! जय हिन्द। इन नारों से देश को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीयता की पहचान हैं। आज भी युवा उनसे प्रेरणा ग्रहण करते हैं। वह ऐसे वीर सैनिक हैं, जिनकी गाथा इतिहास सदैव गाता रहेगा। ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। उन्होंने सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया। सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर नेताजी ने ही संबोधित किया था।

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