प्रदेश के ग्रामीण विद्युत उपभोक्तओं के बिजली दरों में (rural household) पावर कार्पोरेशन द्वारा बेतहासा प्रस्तावित वृद्धि के सम्बन्ध में नियामक आयोग में सौंपे गये एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) एवं बिजली दर प्रस्ताव पर अभी आयोग द्वारा निकाली गयी कमियों पर जवाब आयोग को नहीं सौंपा।

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  • वहीं दूसरी ओर पावर कार्पोरेशन व राज्य सरकार की तरफ से एआरआर व बिजली दर प्रस्ताव को स्वीकार कराने हेतु लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
  • जिसके विरोध में उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग सदस्य एस के अग्रवाल से मुलाकात की।
  • उन्होंने उनसे अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि हमेशा से यह चला आ रहा है।
  • कि पावर कारपोरेशन द्वारा एआरआर में निकाली गयी कमियों पर सही जवाब प्राप्त नहीं होता है।
  • आयोग प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है जो पूरी तरह असंवैधानिक हैं।

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100 से ज्यादा कमियां एआरआर में निकाली गईं

  • नियामक (rural household) आयोग द्वारा 100 से ज्यादा कमियां एआरआर में निकाली गयी थीं।
  • जिसका अभी तक आयोग में सही उत्तर प्राप्त नहीं हुआ।
  • वहीं दूसरी ओर एआरआर व बिजली दर प्रस्ताव को स्वीकार कराने हेतु दबाब बनाया जाने लगा।
  • सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि विगत दिनों पावर कॉर्पोरेशन द्वारा श्रेणीवार विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में जो बेतहासा वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया।
  • अभी तक उस पर आयोग द्वारा जो कमियां निकाली गयी वह पावर कॉर्पोरेशन को भेजी ही नहीं गयीं।
  • ऐसे में नियामक आयोग को असंवैधाकि कार्यवाही करने से बचना चाहिये।
  • अन्यथा की स्थिति में उपभोक्ता परिषद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में चुप नहीं बैठेगा।

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किन श्रोतों से खरीदी जायेगी सस्ती बिजली

  • उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन द्वारा मंहगी दरों पर खरीदी जाने वाली बिजली के पीपीए को खारिज किये जाने के बाद एआरआर में संशोधन होना है।
  • उसमें किन श्रोतों से खारिज किये गये पीपीए के एवज में पावर कार्पोरेशन बिजली पुनः खरीदेगा पर भी विस्तृत जवाब तलब किया गया है।
  • ऐसे में जब तक पावर कार्पोरेशन द्वारा बिजली खरीद पर अपना संशोधित प्रस्ताव आयोग को नहीं सौंपा जाता, प्रस्ताव स्वीकार करना गलत है।
  • विगत दिनों बजाज सहित अनेकों श्रोतों से खरीदी जाने वाली मंहगी बिजली के पीपीए को पावर कॉर्पोरेशन द्वारा समाप्त किया गया था।
  • ऐसे में पावर कॉर्पोरेशन को अब आयोग को बताना होगा व लिखित प्रस्ताव सौंपना होगा कि अब किन श्रोतों से सस्ती बिजली खरीदी जायेगी।

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अब योगी सरकार में अतिरिक्त सब्सिडी की बात की जा रही

  • उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बडे दुर्भाग्य की बात है कि पावर कारपोरेशन द्वारा घरेलू ग्रामीण व किसानों की बिजली दरों में 260 से 350 प्रतिशत वृद्धि इसलिये की गयी है।
  • कार्पोरेशन का कहना है कि अभी तक इन दोनो श्रेणी में सरकार से केवल 5440 करोड सब्सिडी मिल रही है।
  • अगर इस कैटेगिरी में कोई भी वृद्धि न की जाये तो सरकार को अतिरिक लगभग 8590 करोड़ और देना होगा।
  • इसका मतलब यह है कि पावर कॉर्पोरेशन द्वारा अभी तक अन्य सरकारों के कार्यकाल में यह बात क्यों नहीं कही गयी।
  • अब योगी सरकार के कार्यकाल में अतिरिक्त सब्सिडी की बात की जा रही है?
  • इसका मतलब यह है कि या तो सरकार के इशारे पर यह सब हो रहा है या तो उ0 प्र0 सरकार की छबि धूमिल करने के लिये पावर कार्पोरेशन द्वारा इस प्रकार की कार्यवाही की जा रही है।
  • जो पूरी तरह आम जनता विरोधी (rural household) कार्यवाही को दर्शाता है।

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