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सुल्तानपुर : एक गांव ऐसा भी , जो जलाशय में है तब्दील

सुल्तानपुर : एक गांव ऐसा भी , जो जलाशय में है तब्दील

 

यह गाँव बदहाली का दंश झेलता नजर आ रहा है और सरकारी योजनाओं के लोक लुभावन वायदों की पर दर परत के खोखले वादों की कागजी कहानियों को बयां करता दिख रहा है । सरकार की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने वाले जिम्मेदारों ने भी कभी इस गांव की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश नहीं की लेकिन हमारी टीम इस गांव व वहां के वासिंदों के दर्द से सरकार में बेठे नेताओं से लेकर अफसरशाहों को कराएगी रूबरू एक ऐसे गांव से जो कहने को तो गांव है लेकिन हकीकत में कहें तो किसी जलाशय से कम नहीं ।सरकारी अमले वा जिम्मेदारों से जब जानकारी चाही गयी तो अपनी गर्दन को बचाते हुए मिठ्ठू मियां बोल पड़े आप से ही मिली जानकारी,हम जांच कराएंगे…… जरूरत पड़ी तो मौके का खुद करेंगे स्थलीय निरीक्षण फिलहाल गांव के लोग सरकारी मदद की आंस सजोए बैठे हैं देखें खास रिपोर्ट ………..

आइये अब हम आपको रूबरू कराते हैं भाजपा की पूर्व केंद्रीय मंत्री व मौजूदा भाजपा सांसद मेनका गांधी के लोकसभा संसदीय क्षेत्र के ग्राम सभा अमेठा से जो कि सुलतानपुर जनपद के मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,जो कहने के लिए शासकीय अभिलेखों में तो ग्राम सभा है लेकिन धरातल पर किसी जलाशय या यू कहें कि तलाब से दिखाने वाले मंजर से कम नहीं यूपीओराजी आपको कराएगा जमीनी हकीकत से रूबरू आखिर सरकारी दावे कागजातों पर तो चलते रहे लेकिन सरकार की जमीनी मंशा दम तोड़ती नजर आई जी हां इस गांव में घर तो हैं लेकिन प्रधानमंत्री के छत नहीं बल्कि पुराने जमाने की खपडैल व मड़हे अभी भी गुलजार है जोकि इन परिवारों को मौत का दावत देते नजर आ रहे हैं बुनियादी सुविधाओं की बात की जाए तो वह कोसों मील दूर खड़ी नजर आ रही हैं । लेकिन सरकारी सिस्टम के खेल ने एक ही पल में यह बयां सा कर दिया कि अगर यहां कुछ देखने को मिला तो वह यह है कि भयावह महामारी जैसी गम्भीर बीमारी को जन्म देने वाली लापरवाह सिस्टम के नुमाइंदों की देन……. जी हां यह हम नहीं कह रहे हैं यह अमेठा गांव ढलान नुमा स्थित में बसा बताया जाता है जिसमें बरसात के दिनों में खासे मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और तो और पड़ोसी गांवों के पानी भी इस गांव में आकर जमा हो जातें हैं और प्रशासन के द्वारा निकासी के इंतेजाम दशकों बीतने के बाद भी नहीं किए जा सके हैं …….. करोड़ो के बजट के बाद भी बदहाली का दंश ।

दरसल बता दें ये गांव सुल्तानपुर जिले के दूबेपुर ब्लाक में स्थित अमेठा ग्राम सभा के नाम से सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं,बीते दिनों इस गांव के परिवार पर कुदरत ने कहर बरपा दिया था । जहां रात में सो रहे एक दम्पति के ऊपर घर की कच्ची मिट्टी से बनी दीवार भरभरा कर गिर जाने से मौत हो गयी और उन दम्पति के बच्चों के सर से मां बाप का साया तो छिन ही गया साथ ही साथ उन मासूमों के सपने भी ज़मीदोज होते नजर आ रहे हैं , इन बच्चों के आगे पीछे कोई नही है सिवाय बूढ़े बाबा दादी के जिनकी ढ़लती उम्र में अपने बहु और बेटे के जनाजे ने कमर तोड़ कर रख दी है । बूढ़े बाबा दादी की भी अब उम्र हो चली है और ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि अब इन नौनिहालों का आखिर पालनहार कौन बनेगा……कौन बनेगा इनका खेवनहार……. जिसके पीछे भी पंचायत सचिव स्तर की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है कि आखिरकार प्रत्यावेदन के बाद पात्र लाभार्थियों को आखिरकार प्रधानमंत्री आवास योजना से क्यों नहीं लाभानवित किया गया ।

अगर हम बात करें अमेठा के रामपुर में बुनियादी सुख सुविधाओं की तो उस पर मानों कुदरत ने अरसे से ग्रहण सा लगा दिया हो और ग्रामीण अब राम भरोसे ही नजर आ रहे हैं स्थानीय श्री नाथ से जब हमारी टीम ने बात की तो उन्होंने ने सड़क के मूल रूप ना ले ने की बात कही जिसके चलते उनका गांव हल्की सी भी बारिश में डूब जाता है । तो वहीं स्थानीय महिला रजना ने तो अफसरों समेत सेक्रेटरी की पोल खोल कर रख दी,रजना की मानें तो अफसर यहां कभी आए ही नहीं और सेक्रेटरी आये तो उन्होंने ने कह दिया कि यह तुम्हारी समस्या है और खुद ही हल करो अब तो अमेठा का रामपुर राम भरोसे ही नजर आ रहा है ।

 

कहीं न कहीं सरकार बड़े बड़े दावे तो करती है जिसमें जनप्रतिनिधियों समेत अफसर प्रधानमंत्री आवास योजना , उज्जवला गैस योजना , इज्जत घर योजना लेकिन सच्चाई यहां तो सहबानों के इमान पर दम तोड़ती नजर आ रही है सरकार । अब अमेठा के रामपुर में शौचालय की तस्वीरों को देखें तो किसी के दरवाजे में फ्रेम नजर आएगा तो किसी में तो सीटें खाली पड़ी है और अर्धनिर्मित शौचालय का पेमेंट कर जमकर बंदरबांट कर लिया गया , गरीबों मजलूमों के घरों में पानी का इस कदर जल भराव होना अफसरों की नाकामी को भी मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है । यूपीओराजी की स्क्रीन पर साफ तौर पर देख सकते हैं कि आखिरकार किस तरह पीएम नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत स्वास्थ्य भारत की तसवीरें बयां कर रही हैं सुल्तानपुर से ज्ञानेन्द्र की खास रिपोर्ट।

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