सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से थाने में थर्ड डिग्री देने का एक विडियो शोसल मीडिया पर वायरल हो रहा जो कि लगभग 10 दिन पहले का बताया जा रहा है।वायरल हो रहे वीडियो के सम्बन्ध में पुलिस की मानें तो वीडियो में दिख रहे चारों आरोपी चोर बताए जा रहे जिनके पास से कुड़वार थाना क्षेत्र में हुई चोरी का माल भी बरामद करने की बात कही गयी है, लेकिन देख सकतें हैं कि वायरल वीडियो में मित्र पुलिस का चेहरा किस तरह नजर आ रहा है और यह कानून के रक्षक ही भक्षक बन बैठे जिनको ना माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का फर्क है ना ही मानवाधिकार आयोग का डर।बैरहाल मामले में यूपीओराजी ने खबर को प्रमुखता से चलाया तो एसपी ने आरोपी दरोगा को सस्पेंड कर दिया।

ये था पूरा मामला।

बताते चलें कि शोसल मीडिया पर वायरल वीडियो सुलतानपुर जनपद के कुड़वार थाने का बताया जा रहा है, और पुलिसिया रवन्ने की माने तो यह चारों आरोपी थाना क्षेत्र के एक ज्वैलरी शॉप में हुए चोरी के आरोपी बताए जा रहे हैं । वीडियो में थाने के कमरे में एक सिविल ड्रेस में जो साहब पट्टे रसीद रहे हैं वो थाने के बंधुआकला चौकी के प्रभारी राणा प्रताप बताए जा रहे हैं । बाल अपचारियों पर जमकर आनमिलो सजना के पट्टों से खातिरदारी करते नजर दिख रहे हैं लेकिन दरोगा जी वर्दी के गुरूर में यह भूल गए की इनके ऊपर भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश होते हैं जिसमें आरोपियों को थर्ड डिग्री या यातनाएं देने पर पाबंदी लगा रखी है । वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस महकमे में हडकम्प मचा हुआ है ।

 

लेकिन थाने में पुलिस प्रताड़ना का यह पहला मामला नहीं देश के तमाम राज्यों में पुलिस हिरासत के दौरान थाने में आरोपियों के साथ हिंसा की खबरें आम हो चुकी हैं , जिसको लेकर 1996 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डीके बसु मामले में पुलिस हिरासत के दौरान दी जाने वाली यातनाओं के विरूद्ध गम्भीर दिशा निर्देश जारी किए गए थे।जिसमें समय समय पर सम्बंधित राज्य के हाईकोर्ट के द्वारा संसोधन कर के पुलिस हिरासत में रखे आरोपियों को व्यापक रूप से सहूलियत देते हुए फेक इन्काउन्टर पर भी गाइडलाइंस व जांच दायरे बनाए गए हैं डीके बसु मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा-निर्देश थर्ड डिग्री यातना को रोकने के लिए दिये थे उनकी रोशनी में कानून बनाया जाये ताकि पुलिस लॉकअप में न केवल वर्दी वालों को गुंडा बनने से रोका जाये बल्कि लोकतांत्रिक व सभ्य समाज में मानवीय मूल्यों को सुरक्षित रखा जा सके और पुलिस हिरासत में हत्या व अन्य जघन्य अपराधों पर विराम लगाया जा सके ,लेकिन मगरूर दरोगा राणा प्रताप के लिए ना तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश मायने रखते हैं ना तो इनको मानवाधिकार आयोग का ही डर है।

वायरल वीडियो पर सज्ञान।

फिलहाल मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो पुलिस महकमें में हडकम्प मच गया और आनन फानन में सुलतानपुर पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा ने मगरूर दरोगा राणा प्रताप को कर्तव्यों से इतर की गयी कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए अन्य विभागीय कार्यवाही के आदेश जारी कर दिए गए ।

रिपोर्ट- ज्ञानेंद्र 

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